इस सदी में महर्षि दयानन्द प्रेरणा प्राप्त कर कई दिग्गज विद्वानों ने वेदान्वेषण को अपना जीवन समर्पित कर दिया था । पं सातवलंकर , पं . विश्वबंधु के नाम सर्वोपरि हैं । परन्तु श्री गुरुदत्त जी की विशेषता है सरल भाषा में विवेचना । श्री गुरुदत्त जी विज्ञान के विद्यार्थी होने से विश्लेषणात्मक बुद्धि रखते थे । इस पृष्ठभूमि पर उन्होंने वेदाध्ययन आरंभ किया तो पाया वेदों में सृष्टि रचना का इतिहास है तथा साथ ही अध्यात्म एवं जीवन – यापन संबंधी ज्ञान भी भरा पड़ा है । वेद , उपनिषद् तथा दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यंत सरल भाषा में प्रस्तुत करना गुरुदत्त की ही विशेषता है ।
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यजुर्वेद और गृहस्थ धर्म Yajurveda Aur Grihastha Dharma
₹70.00
AUTHOR: | Gurudutt Upanyaskar |
SUBJECT: | Yajurveda Aur Grihastha Dharma |
CATEGORY: | Vedic Dharma |
LANGUAGE: | Hindi |
EDITION: | 2019 |
PAGES: | 108 |
BINDING: | Paperback |
WEIGHT: | 200 GRMS |
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Description
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Author |
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वैद्य गुरुदत्त, एक विज्ञान के छात्र और पेशे से वैद्य होने के बाद भी उन्होंने बीसवीं शताब्दी के एक सिद्धहस्त लेखक के रूप में अपना नाम कमाया। उन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित्र आदि लिखे थे। उनकी रचनाएं भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियों से भी भरी हुई थीं।
तथापि, इतनी विपुल साहित्य रचनाओं के बाद भी, वैद्य गुरुदत्त को न कोई साहित्यिक अलंकरण मिला और न ही उनकी साहित्यिक रचनाओं को विचार-मंथन के लिए महत्व दिया गया। कांग्रेस, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के कटु आलोचक होने के कारण शासन-सत्ता ने वैद्य गुरुदत्त को निरंतर घोर उपेक्षा की। छद्म धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने भी उनको इतिहासकार ही नहीं माना। फलस्वरूप, आज भी वैद्य गुरुदत्त को जानने और पढ़ने वालों की संख्या काफी कम है
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