पुस्तक का नाम – वेदों में विज्ञान
लेखक – डा. कपिलदेव द्विवेदी
वेद आर्य-जाति के प्राण हैं। ये मानव-मात्र के लिए प्रकाश स्तम्भ और शक्ति का स्रोत् हैं। विश्व को संस्कृति का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है। वेद ही मानव-मात्र के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करते हुए सुख और शांति की स्थापना करते है।
वेदों के विषय मे मनु का यह कथन सारगर्भित है कि – सर्वज्ञानमयो हि सः अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं के सूत्र विद्यमान हैं। वेदों में जहाँ धर्म, आचारशिक्षा, नीतिशिक्षा, सामाजिक जीवन, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि के सम्बद्ध पर्याप्त सामग्री है, वहीं विज्ञान के विभिन्न अंगो से सम्बद्ध सामग्री भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। वेदों में भौतिकी, रसायनशास्त्र, वनस्पतिविज्ञान, जन्तुविज्ञान, कृषि, गणित, ज्योतिष, भूगर्भविज्ञान आदि विषयक ज्ञान प्रचूर मात्रा में है।
प्रस्तुत् ग्रंथ में वेदों से संकलित कर इन विषयों का अध्ययनात्मक ज्ञान प्रस्तुत किया है।
इन्द्र, मित्र, वरूण, अश्विनी आदि शब्दों के वैज्ञानिक अर्थों को रखा गया है।
प्रत्येक विषय को सरल और रूचिपूर्ण बनाकर प्रस्तुत किया गया है।
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