“आयुर्वेदीय पंचकर्म विज्ञान”
यह ग्रंथ विज्ञ एवं विज्ञानप्रेमी वाचकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे परम संतोष होता है । गत एक तप तक पंचकर्म विषय में कृत अध्ययन अध्यापन , तथा प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर लिखित यह ग्रंथ इस विषय पर संभवतः प्रथम ही अनोखा वैशिष्ट्यपूर्ण ग्रंथ होगा ऐसा कहने में आत्मश्लाघा का दोष नहीं आयेगा ऐसी आशा है किंतु वैसी वस्तुस्थिति है । विगत वर्षों में ऐसे ग्रंथ की त्रुटि मुझे भी कठिनाइयों में डालती रही है । ईश्वर की कृपा से और सद्भाग्य से मुझे स्नातक , स्नातकोत्तर रिफ्रेशर , अन्वेषक तथा नर्सेस इन सब् स्तर के छात्रों को इस विषय का अध्यापन करने का मौका मिला है ।
इसी तरह आतुरालय कार्य और अन्वेषण कार्य की कुछ उत्तरदायित्व निभाने का सुअवसर प्राप्त ह सका है ।
एक तप – अर्थात् बारह वर्ष – यद्यपि बहुत अधिक काल नहीं है तथापि एक अत्यंत भोडवाले आतुरालय विशाल अंतरंग विभाग के कार्य का यह काल अल्प भी निश्चित नहीं है । इस अधिकार को ग्रहण कर मैंने आपके समक्ष यह ग्रंथ प्रस्तुत करने की चेष्टा की है । इसके लेखन में प्रधानतया तीन उद्देश्य सामने रखे थे । एक वैद्यकीय छात्र को पंचकर्म का शास्त्रीय परिचयात्मक पाठ्यग्रंथ प्राप्त हो । दूसरा – प्रत्यक्ष कर्म में जो वैद्य व्यवसाय में लगे हुए हैं उन्हें प्रत्यक्षकर्मों की वैज्ञानिक पद्धति मिल जाए तथा तीसरा उद्देश्य – स्नातकोत्तर छात्रों को एवं अन्वेषकों को अपने विषय में समस्याएं , समस्यःओं को सुलझाने की विचारपद्धति इस बारे में अल्प – स्वल्प सहाय्यभूत हो सके । इसमें कितनी सफलता प्राप्त हुई है यह निर्णय विज्ञ मर्मज्ञों को तथा उपर्युक्त तीन अधिकारियों को स्वयं करना है ।
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