पुस्तक परिचय
तंत्र शास्त्र में वर्णित न्यास पद्धति के गुह्य ज्ञान में शोध कर स्वामी सत्यानन्द सरस्वती ने योग निद्रा की सरल किन्तु अत्यन्त प्रभावशाली तकनीक को जन्म दिया है । इस पुस्तक में योग निद्रा के सिद्धान्त को योग एवं विज्ञान, दोनों की शब्दावली में समझाया गया है और अभ्यासों का कक्षा प्रतिलेखन भी दिया गया है ।
साथ ही इस सर्वतोमुखी तकनीक की अनेक उपयोगिताओं पर भी प्रकाश डाला गया है । गहन शिथिलीकरण, तनाव नियन्त्रण एवं योगोपचार, शिक्षा के क्षेत्र में ग्रहणशीलता में वृद्धि, गहरे अचेतन में सामंजस्य और आन्तरिक शक्ति के जागरण तथा ध्यान की एक तकनीक के रूप में इसका वर्णन किया गया है ।
इस क्षेत्र में हुए अनुसंधानों का भी समावेश किया गया है । पूर्ण मानसिक भावनात्मक एवं शारीरिक विश्रान्ति प्रदान करने की यह व्यवस्थित पद्धति सभी अभ्यासियों के लिए उपयुक्त है ।
लेखक परिचय
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा ग्राम में 1923 में हुआ । 1943 में उन्हें ऋषिकेश में अपने गुरु स्वामी शिवानन्द के दर्शन हुए । 1947 में गुरु ने उन्हें परमहंस संन्याय में दीक्षित किया । 1956 में उन्होंने परिव्राजक संन्यासी के रूप में भ्रमण करने के लिए शिवानन्द आश्रम छोड़ दिया ।
तत्पश्चात् 1956 में ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय योग मित्र मण्डल एवं 1963 मे बिहार योग विद्यालय की स्थापना की । अगले 20 वर्षों तक वे योग के अग्रणी प्रवक्ता के रूप में विश्व भ्रमण करते रहे ।
अस्सी से अधिक ग्रन्यों के प्रणेता स्वामीजी ने ग्राम्य विकास की भावना से 1984 में दातव्य संस्था शिवानन्द मठ की एवं योग पर वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से योग शोध संस्थान की स्थापना की । 1988 में अपने मिशन से अवकाश ले, क्षेत्र संन्यास अपनाकर सार्वभौम दृष्टि से परमहंस संन्यासी का जीवन अपना लिया है ।
Pihu –
स्वयं को जाना