भूमिका
स्वामी कुवलयानंद जी ने 1924 में अपने विचारों, लेखों के द्वारा योग के मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आयाम का महत्त्व उद्घोषित किया था, जिसके महत्त्व से प्रेरित होकर अनेक विद्वानों ने योग तथा मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अनेक लेख व पुस्तकें लिखीं। अधिकांश पुस्तकें अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। किन्तु हिंदी में योग और मनोविज्ञान विषय पर अल्प पुस्तकें उपलब्ध हैं जो योग विद्या को जानने वाले लोगों, छात्रों को योग के दार्शनिक, मानसिक व आध्यात्मिक आयाम से सरल, शुद्ध व सुगम पद्धति से अवगत कराती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक, सरल हिंदी में इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिखी गई है। योग के छात्रों के पाठ्यक्रम व भाषा सम्बन्धि त कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक को सरल, शुद्ध व सुगम पद्धति से लिखने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक में योग परिचय, मनोविज्ञान का परिचय, योग और आधुनिक मनोविज्ञान क्या है- समग्र स्वास्थ्य, प्रसामान्यता व्यक्तित्व, संज्ञानात्मक प्रक्रिया अभिप्रेरणा, चिन्तन, बुद्धि चेतना इत्यादि अभिवृत्ति तथा योग द्वारा मानसिक विकारों जैसे – दुश्चिन्ता, अवसाद, फोबिया इत्यादि के निदान पर विस्तृत चर्चा की गयी है। प्रस्तुत पुस्तक रचना के अन्तर्गत सभी विद्वानों, लेखकों के जिन ग्रंथों एवं लेखों से सहायता ली गयी है विशेष रूप से मेरे गुरू प्राचार्य रणजीत सिंह भोगल (कैवल्य धाम योग महा विद्यालय) तथा सभी के प्रति आभार प्रकट करता हूँ व कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।
मुझे आशा है कि प्रस्तुत पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और संस्थानों में संचालित योग के पाठ्यक्रमों के योग और मनोविज्ञान का अध्ययन कर रहे छात्र/छात्राओं व शोधार्थियों का ज्ञानवर्द्धन करने में सहायक होगी। इनके प्रतिपादन में कहीं दुरूहता अथवा अस्पष्टता लक्षित हो तो कृपया क्षमा करें। आपके अमूल्य सुझाव हमारा ज्ञानवर्द्धन करेंगे।
डॉ. विनोद प्रसाद नौटियाल
अध्याय-1 | योग और मनोविज्ञान
◇ योग का परिचय, अर्थ और परिभाषा ◇ मनोविज्ञान का परिचय, अर्थ और परिभाषा ◇ योग और आधुनिक मनोविज्ञान |
1-26 |
अध्याय-2 | समग्र स्वास्थ्य और व्यक्तित्व
◇ समग्र स्वास्थ्य का परिचय, अर्थ और परिभाषा ◇ प्रसामान्यता की अवधारणा ◇ व्यक्तित्व की अवधारणा ◇ पूरब और पश्चिम देशों में व्यक्तित्व की अवधारणा |
27-56 |
अध्याय-3 | योग और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियायें
◇ संज्ञानात्मक प्रक्रिया और उच्च स्तरीय मानसिक प्रक्रिया ◇ चिन्तन ◇ अभिप्रेरणा ◇ अनुभूतियाँ तथा संवेग ◇ स्मृति ◇ बुद्धि ◇ अधिगम या सीखना ◇ चेतना ◇ निद्रा तथा जागरण |
57-106 |
अध्याय-4 | अभिवृत्ति
◇ अभिवृत्ति स्वरूप, गठन एवं मापन ◇ अभिवृत्ति परिवर्तन, वैयक्तिक और अन्तर्वैयक्तिक व्यवहार में संबंध ◇ अभिवृत्ति गठन द्वारा व्यक्तित्व संकलन |
107-132 |
अध्याय-5 | मानसिक विकार में योग की भूमिका
◇ मानसिक विकार की अवधारणा में पतंजलि योग सूत्र का समावेश ◇ मानसिक विकार में ‘ओड्म’, की भूमिका ◇ मानसिक विकारों में योग द्वारा निदान |
133-164 |
6 | सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 165-173 |
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