यजुर्वेद
Yajurveda

900.00

AUTHOR: Swami Dayanand Sarswati
SUBJECT: Yajurveda
CATEGORY: Vedas
LANGUAGE: Sanskrit-Hindi
EDITION: 2024
PAGES: 1424
BINDING: Hard Cover
WEIGHT: 1485 g.
Description

यजुर्वेद का मुख्य विषय मानवोचित कर्म को बताना है तथापि यह नहीं कहा जा सकता कि इस वेद में कर्म के अत्यरिक्त कोई अन्य विषय व्याख्यात नहीं हुआ है। यजुर्वेद में इनसे पृथक् ईश्वर, जीव, प्रकृति, सृष्टि-रचना, जीवन-मृत्यु आदि दार्शनिक विषयों पर गहन चिंतन प्राप्त होता है। दार्शनिक तत्व के साथ-साथ समाज शास्त्र जिसमें मनुष्यों के सर्वहितकारी नियम, वर्ण और आश्रम व्यवस्था, नारी सम्मान आदि का मूल, बीज रुप में उल्लेखित है। राष्ट्र भावना का और राष्ट्र में मनुष्यों के योगदान पर यजुर्वेद प्रकाश डालता है और राष्ट्र को सबल बनाने का उपाय बताता है। यजुर्वेद पर्यावरण के महत्व और उसकी सुरक्षा पर भी उपदेश करता है। यजुर्वेद का मन्त्र “द्यौः शान्तिः.-यजु.36-17” अनेक स्थानों पर दृष्टिगोचर होता है जिसमें समस्त ब्रह्माण्ड सभी के लिए शान्तिदायक हो ऐसी प्रार्थना की गयी है। यहां शान्तिदायक ब्रह्माण्ड तभी होगा जब इनका संतुलन बना रहे और ये प्रदूषणादि दोषों से पृथक रहें। इस प्रकार यजुर्वेद पर्यावरण के महत्व पर उपदेश करता है। इस वेद में अनेक विषयों का उपदेश है, जैसे औषधिशास्त्र का “सुमित्रिया न आप ओषधयः सन्तु”- ऋ.6.22 आदि। गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त पर, जैसे – आकृष्णेन रजसा वर्तमानो..-ऋ.33.43 आदि।

कृषि विद्या पर भी कृषन्तु भूमिं शुनं – यजु.12.69 आदि अनेक मन्त्र हैं। पशुपालन और गौरक्षा का “यजमानस्य पशुन् पाहि”-यजु.1.1 आदि मन्त्रों द्वारा उपदेश हैं। गणित विद्या पर “एका च मे तिस्त्रश्च मे तिस्त्रश्च.”- यजु.18.24 आदि मन्त्रों द्वारा उपदेश है। यजुर्वेद के 18वें अध्याय में अनेक खनिजों के नामों को बताया गया है।

प्रस्तुत भाष्य महर्षि दयानन्द सरस्वती रचित है। इस भाष्य में ऊपर वर्णित सभी विषयों के अतिरिक्त अन्य विषयों का भी समावेश है। यह भाष्य नैरुक्त प्रक्रिया से सम्पन्न विज्ञान और दर्शनों की कसौटियों पर खरा उतरता है। जहां अन्य भाष्य केवलमात्र कर्मकांड युक्त है, वहीं ये भाष्य लौकिक, अलौकिक आदि ज्ञान-विज्ञान से युक्त है। इस भाष्य में व्यवहारिक ज्ञान की प्रचुरता है। भाष्यकार ने भाष्य में अर्थ प्रमाण की दृष्टि से निरूक्त, अष्टाध्यायी, तैत्तरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण का प्रमाण दिया है, जिससे भाष्य की शैली की प्रमाणिकता सिद्ध होती है। सभी मन्त्रों का उत्तम और जीवन में उपयोगी विषयों के अनुरूप यह भाष्य है। इस भाष्य के अध्ययन करने पर आप स्वयं कह उठेंगे कि “सर्वज्ञानमयो हि सः।

भाष्यकार : महर्षि दयानन्द सरस्वती

सम्पूर्ण यजुर्वेद भाष्य प्रथम बार कंप्यूटर द्वारा मुद्रित, शुद्धतम् सामग्री, नयनाभिराम डिजिटल छपाई, आकर्षक आवरण, उत्तम कागज,  सुंदर टाइप, शब्दार्थ व मन्त्रानुक्रमणिका सहित एक खण्ड में प्रस्तुत |

यजुर्वेद का विषय  केवल कर्मकाण्ड ही नहीं है, बल्कि इसमें वर्णित है अध्यात्म एवं दर्शन ,सृष्टि-रचना तथा मोक्ष, नैतिक तथा आचारमूलक शिक्षाएं , मनोविज्ञान बुद्धिवाद, समाज दर्शन , राष्ट्र भावना, पर्यावरण का संरक्षण। काव्य तत्व के अतिरिक्त यजुर्वेद में विद्यमान है, विश्व मानव की एकता जैसे उपयोगी विषय ।

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