वेदानां महत्त्वं तत्प्रचारोपायाश्च
Vedanam Mahatvam Tatpracharopayasch

200.00

AUTHOR: Yudhishthir Mimansak
SUBJECT: Vedanam Mahatvam Tatpracharopayasch | वेदानां महत्त्वं तत्प्रचारोपायाश्च
CATEGORY: Vedic Literature
LANGUAGE: Sanskrit – Hindi
EDITION: 2024
PAGES: 138
PACKING: Paper Back
WEIGHT: 180 g.
Description

यह सब विद्वानों को विदित है कि हम सभी धर्म अनुयायियों के लिए वेद ही परम प्रमाण है जन्म से लेकर मरण पर्यंत सब संस्कार संबंधी सब व्यवहार वेदों पर ही आश्रित है अब भी धर्म प्रधान लोगों के लिए वेद ही परम प्रमाण है इसलिए हमारे ब्राह्मणों ने अभी तक बड़े यत्न से उनको ऐसे कंठस्थ करके सुरक्षित रखा है कि जिससे उनमें एक स्थान पर भी स्वर मात्रा वर्ण की कोई त्रुटि नहीं मिलती ऐसा होने पर यह विचार पैदा होता है कि ऐसा क्या कारण है कि जिससे वैदिक मत के अनुयाई प्रधानता से वेदों का ही आश्रय लेते हैं

यदि हम ऐतिहासिक दृष्टि से इस पर विचार करें तो हमें यह ज्ञात होता है कि पूज्य महर्षि ब्रह्मा से लेकर स्वामी दयानंद सरस्वती पर्यंत जो ऋषि मुनि और आचार्य हुए उन्होंने वेद सब विद्याओं की और वर्तमान, भूत, भविष्य के लिए उपयोगी ज्ञान की खान है ऐसा माना है वेदों मे जिस प्रकार का सूक्ष्म और जो इंद्रियों से जाना नहीं जा सकता ज्ञान है उस प्रकार का और कहीं नहीं है

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