वेद और वैदिक काल
Ved Aur Vedic Kaal

100.00

AUTHOR: Gurudutt
SUBJECT: Ved Aur Vedic Kaal | वेद और वैदिक काल
CATEGORY: History
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2021
PAGES: 128
BINDING: Paper Back
WEIGHT: 172 g.
Description

वेद क्या है और इनकी रचना कब हुई तथा वैदिक काल के लोग कैसे थे , इस विषय पर अपने कुछ विचार पाठकों के सम्मुख रखने के लिए यह पुस्तक लिख रहा हूं

इस विषय पर लिखने का विचार इस कारण हुआ कि कुछ पाश्चात्य विचारक , जो स्वयं को वेद का विद्वान् मानते हैं और वैसा ही प्रख्यात करते हैं , वे कुछ ऐसी बातें लिख रहे हैं जो हमें सत्य दिखाई नहीं दे रहीं । इस युग में भारत में वेद तथा वैदिक काल के विषय में रुचि उत्पन्न करने का भगीरथ प्रयास महर्षि स्वामी दयानन्द ने किया है ।

परन्तु इस पर भी भारतीय साहित्य तथा इतिहास के ठेकेदार भी प्रायः यूरोपियन कहे जाने वाले वेद के विद्वानों का अनुकरण कर रहे प्रतीत होते हैं । वैसे वे भारतीय विद्वान् जो यूरोपीयन इंडोलोजिस्टों के कठोर आलोचक हैं , वे भी वेद का जो तिथि – काल उपस्थित करते हैं , वह भी त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है । मध्यकालीन भारतीय विद्वान् , हमारा अभिप्राय है सायण , महीधर आदि भाष्यकार भी तिथि – काल के विषय में या तो मौन हैं अथवा कुछ ऐसे विचार प्रकट कर गये हैं । जो उपस्थित प्रमाणों से सिद्ध नहीं होते । इस कारण हमने इस विषय पर अपने कुछ विचार उपस्थित करने का साहस किया है । अपने विचारों की पुष्टि के लिए युक्ति और प्रमाण भी देने का यत्न किया है ।

फिर भी हम दावा नहीं कर सकते कि जो कुछ हमने कहा है वह ध्रुव सत्य ही होगा । विषय इतना गम्भीर और दुरूह है कि हम अन्तिम सत्य तक पहुँच गये हैं . ऐसा नहीं कह सकते । अपने सीमित साधनों और ज्ञान से जो कुछ और जितना कुछ हम समझ सके हैं , वह लिख रहे हैं । महर्षि स्वामी दयानन्द ने लिखा है कि ऋक् नाम है स्तुति का स्तुति का अभिप्राय है किसी के गुण , कर्म और स्वभाव का वर्णन । अतः ऋचाएँ , पृथ्वी से लेकर परमात्मा तक के सब पदार्थों के गुण , कर्म और स्वभाव का वर्णन करती हैं । सरल भाषा में यह कहा जा सकता है कि वेद ज्ञान और विज्ञान के ग्रन्थ है । ज्ञान से अभिप्राय है अनादि मूल तत्त्वों का वर्णन और उनका परस्पर सम्बन्ध और विज्ञान है इस कार्य – जगत् के विभिन्न पदार्थों का वर्णन ये दोनों ही बातें वेद में है ऐसा महर्षि स्वामी दयानंद मानते थे और हम भी ऐसा ही मानते हैं

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About Gurudutt
वैद्य गुरुदत्त, एक विज्ञान के छात्र और पेशे से वैद्य होने के बाद भी उन्होंने बीसवीं शताब्दी के एक सिद्धहस्त लेखक के रूप में अपना नाम कमाया। उन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित्र आदि लिखे थे। उनकी रचनाएं भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियों से भी भरी हुई थीं। तथापि, इतनी विपुल साहित्य रचनाओं के बाद भी, वैद्य गुरुदत्त को न कोई साहित्यिक अलंकरण मिला और न ही उनकी साहित्यिक रचनाओं को विचार-मंथन के लिए महत्व दिया गया। कांग्रेस, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के कटु आलोचक होने के कारण शासन-सत्ता ने वैद्य गुरुदत्त को निरंतर घोर उपेक्षा की। छद्म धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने भी उनको इतिहासकार ही नहीं माना। फलस्वरूप, आज भी वैद्य गुरुदत्त को जानने और पढ़ने वालों की संख्या काफी कम है
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