दो शब्द
विचार सबसे बड़ी शक्ति है। विचार शक्ति तभी देता है, जब मस्तिष्क में विचार स्पष्ट हों। यदि विचार स्पष्ट नहीं हैं, तो मस्तिष्क में चाहे सारी लाइब्रेरी भरी पड़ी हो, कोई शक्ति नहीं मिलेगी। इसके विपरीत यदि एक भी विचार स्पष्ट है, तो इत्तनी शक्ति देता है कि अकेला व्यक्ति सारे संसार के सामने खड़ा हो सकता है। इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं। ऋषि दयानन्द सरस्वती के पास कोई जन-बल, धन-बल, सैन्य-बल, राज्य-बल नहीं था, फिर भी उनके सामने सभी साधनसम्पन्न व्यक्ति, यहाँ तक कि स्वयं अंग्रेज साम्राज्य भी नहीं टिक सका। इस शक्ति का स्त्रोत उनकी वैचारिक स्पष्टता और उन विचारों के प्रति समर्पण ही तो था।
वेद ईश्वरीय ज्ञान है। मानव परमात्मा की बनाई सृष्टि का भोग करते हुए चरम लक्ष्य अर्थात् मोक्ष को कैसे प्राप्त करे और मोक्ष प्राप्ति तक सुखी जीवन कैसे व्यतीत करे, यह मार्गदर्शन परमात्मा ने वेद के माध्यम से दिया। वेदानुकूल आचरण वैदिक संस्कृति का आधार है। हम वैदिक संस्कृति को जीवन में अपना पायें, इसके लिये आवश्यक है कि इस संस्कृति की मान्यताओं की स्पष्ट समझ हमारे पास हो। वैदिक संस्कृति के कुछ बिन्दुओं को समझने का प्रयास प्रस्तुत पुस्तक वैदिक संस्कृति की वैज्ञानिकता में किया गया है।
पुस्तक के विषय क्रम में सबसे पहले वेद का आधार ईश्वर, वेद किसके लिये हैं, आत्मा को प्रभावित करने वाले धर्म, महत्त्वपूर्ण कार्य यज्ञ, जीवनाधार भोजन, गाय, जीवन से जुड़ी बात विकासवाद, वैदिक संस्कृति को मानने वालों का इतिहास, संस्कृति की व्यवस्थाएँ, संस्कृति की ठीक समझ न होने के कारण होने वाले दुष्प्रभाव, इन भागों में विभक्त करके विषयों को वैदिक संस्कृति की वैज्ञानिकता में रखा गया है।
वर्तमान समय में विज्ञान के प्रभाव व भौतिकवादी जीवन शैली के कारण हमारे मन की विधायक स्थिति नहीं रही कि किसी पुस्तक में लिखा या किसी महापुरुष का कहा हम ज्यों का त्यों मान लें। हमारा मन क्यों, कैसे, किसलिये के प्रश्न उठाता है और जब तक तर्कसंगत उत्तर नहीं मिलता, मानने को तैयार नहीं होता। यहाँ ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया गया है। पुस्तक के माध्यम से कुछ जुमलों (ऐसे वाक्य जिनका बहुत लोग प्रयोग करते हैं, परन्तु उनका कोई आधार नहीं होता।) का खुलासा भी होगा, जैसे- भक्ति में तर्क की आवश्यकता नहीं होती, जनसंख्या वृद्धि दुःखों का कारण है, सभी शाकाहारी हो जायें, तो सबको भोजन नहीं मिलेगा, व्यक्ति सुधारो, समाज सुधार की चिंता छोड़ो आदि।
– डॉ. भूप सिंह
Reviews
There are no reviews yet.