प्राक्कथन
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरान्त अपने तकनीकी तथा प्रबन्धन कार्य का प्रारम्भ करने पर वेदों के आंशिक ज्ञान से ऐसा प्रतीत हुआ कि वेदों में जीवन शैली, सामाजिक तन्त्र, राष्ट्रीय प्रबन्धन, सृष्टि उत्पत्ति, वैज्ञानिक ज्ञान व प्रबंधन ज्ञान भरा पड़ा है। जैसे-जैसे विज्ञान व अभियान्त्रिकी की दिशा में आगे बढ़ता गया, इस सत्य की प्रमुखता बढ़ती गयी। तकनीकी तथा प्रबन्धन कार्य से सेवा निवृत्ति के बाद वेदाध्ययन की ओर आगे बढ़ा तथा इस विचार को मूर्त रूप पाया।
यह पुस्तक एक नये विषय “ऋग्वेद में विभिन्न भौतिक ऊर्जाओं की परिकल्पना” को छूती है।
इस पुस्तक को प्रारम्भ करने के लिए प्रथम अध्याय में विषय प्रवेश के अंर्तगत वेदों की उत्पत्ति तथा वैदिक काल के विषय में बताया गया है।
दूसरे अध्याय में उन वैज्ञानिक विषयों का सामान्य परिचय दिया गया है जो अगले अध्यायों के मन्त्रों में वैज्ञानिक विषयों के रूप में आये हैं और वेद मन्त्र इनका ज्ञान देते हैं। इसकी परिकल्पना वेदों व उपनिषदों के काल की है जिसका उपयोग लगभग 4000 वर्ष से भी पुराना है।
तीसरे अध्याय में ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के सूक्त 5 के 15 मन्त्रों का भाष्य स्वामी दयानन्द जी के भाष्य व आर टी एच ग्रिफिथ के भाष्यों के आधार पर वैज्ञानिक दृष्टि से किये गये हैं। मंत्रों के भाष्य का वैज्ञानिक दृष्टि से विस्तार किया गया है। इन मन्त्रों में निम्न विषय दर्शाये गये हैं।
- रेडियो एक्टिव पदार्थ व उनसे निकलने वाले विकरण मनुष्यों के लिए हानिकारक होते हैं। इन पदार्थों से एल्फा व बीटा कण निकलते हैं जो मनुष्य के चर्म को हानि पहुंचाते हैं। इनसे रक्षा करें।
- निश्चित रूपसे नियंत्रित विकरण देनेवाले महान् रेडियो एक्टिव पदार्थ के विषय में ज्ञानीजनों का सम्मान करते हुए इनके सुझावों को अनदेखा न करें। मन्त्र में रेडियो एक्टिव पदार्थ को महान् बताया गया है।
- नाभिकीय क्रियाओं की नियंत्रित क्रियाएँ मनुष्यों के उपयोग में सहायक हैं जैसे विद्युत उत्पादन आदि, परन्तु अनियंत्रित क्रियाएँ अनुपयोगी/असुरक्षित होती हैं जो एटम बम बनाने में उपयोगी हैं।
- अनुपयोगी विकरण को हमारी इच्छा अनुसार महात्ता तथा दूनी विशालता से कार्यों के द्वारा उपयोगी तथा शक्तिशाली बनाएं।
- रेडियोएक्टिव पदार्थ के विकरण मानव शरीर को चुभन करती है, आलस व गर्मी लाती है, इससे बचें। इसके रखने के स्थान के लिए सावधानी पूर्वक नियमों को प्यार व दृढ़ता से पालन करें। अनियंत्रित विकरण से बचें।
- अज्ञात क्रियाएं एवं अनियंत्रित गुणों वाले तथा अनियंत्रित विकरण वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ को छोड़ दें।
- रेडियो एक्टिव पदार्थ व उसका सृष्टि में अनुमान के विषय में मानव द्वारा जिज्ञासा रही है। यह ज्ञान जातवेदा में दिया गया है।
- निम्न वोल्टेज वाली पवित्र बिजली हमें हानि नहीं पहुँचाती। विशाल व भारी वैज्ञानिक व जटिल कार्य बिजली से किये जाते हैं।
- विद्युत का वोल्टेज, परिवर्तन का गुण व क्रिया के आधार पर आवश्यकतानुसार उच्च या निम्न किया जाता है। सोने जैसे सात महान धातुओं की पर्तों के उपयोग से वोल्टेज को उच्च किया जाता है।
- स्थिर व सुन्दर, सतह पर स्थित विद्युत वैभव सभी स्थानों पर समान होता है।
- निर्गम स्थान से छनी हुई अच्छे गुणों वाली (filtered) बिजली उन्हीं गुणों व विपरीत ध्रुव से ज्ञान के साथ उपयोग करने वाले के द्वारा तुरन्त जोड़ी जाये।
- नाभि के चारों ओर इलैक्ट्रोन के उच्च कक्षा में होने से दिव्य जल जैसा पदार्थ बनता है। यह क्रिया प्राकृतिक है। दिव्य जल में विकरण क्रिया होती है। दिव्य जल का निर्माण, रक्षण, सुरक्षा एवं उसका विस्तृित ज्ञान प्राप्त करें। हम लोग इस ज्ञान से अधिक दिव्य जल बनाने का ज्ञान प्राप्त करें। अधिक दिव्य जल अर्थात् अधिक लाभहोता है।
- परमाणु के कोर के प्रोटोन व न्यूटोन दोनों के व बाहर के इलैक्टोन के कंपन सच्चे व कहे गये अच्छे ज्ञान हैं।
- सम्मान व धन के ज्ञान पर उपदेश दें। अच्छे व लेने योग्य को ज्ञान द्वारा लें। हम प्राप्त होने के अविश्वसनीय स्थानों को छोड़ें। हम न ग्रहण करने योग्य व ग्रहण करने योग्य में तुलनात्मक अध्ययन करके ग्रहण करें।
- प्रातः वेला में सूर्य का तेज प्रारम्भ होने पर सोलर ऊर्जा का दोहन प्रारम्भ करें। विज्ञान द्वारा अच्छे प्रतिष्ठित कार्यों को शीघ्र करें। अच्छे निष्कर्ष को सदैव अच्छे कार्यों द्वारा प्राप्त करें।
- वैभवता से प्राप्त/पूर्ण क्षितिज सुन्दर व सभी को प्रिय है। क्षितिज लौ की भांति सुन्दरता से चमकता है। घरों में सुन्दरता, धन एवं सेवकों द्वारा आनन्द के लिये स्थापित तेज प्रकाश सुन्दर है। उसकी तीव्रता सभी के द्वारा स्वीकार्य हो। यह प्रकाश एवं उसके परिणाम निष्कर्ष दायक हैं।
- ज्ञानी जनों के मौखिक ज्ञान को हमें लिखकर शास्त्र बनाने का निर्णय लेना चाहिए।
चतुर्थ अध्याय में ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के सूक्त 6 के 11 मन्त्रों का भाष्य उसी प्रक्रिया को मानते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से किये गये हैं। मन्त्रों के भाष्य का वैज्ञानिक दृष्टि से विस्तार किया गया है। इनमें निम्न विषय दर्शाये गये हैं।
- ब्रह्माण्ड के सदस्य सूर्य व तारों में ईश्वरीय शक्ति के द्वारा शान्ति व पवित्र क्रियाएं होती हैं। ज्ञानी जन विज्ञान व अपने विचारों द्वारा इन का उपयोग कराते हैं। सृष्टि की क्रियाएँ भविष्य में चलती रहें और हम लोग अपनी पीढ़ियों को भविष्य के लिये स्थापित करने का प्रयास करें।
- सूर्य की किरणों को रोक कर बिजली द्वारा छने प्रकाश को स्थापित करना और उसके द्वारा न्याय व आनन्द पाना व अच्छे उपदेशकों के सच्चे ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए।
- शांति में बुद्धिमान् बिजली का उपयोग व युद्ध में बिजली द्वारा आकाश में अग्नि छोड़ना
- बिजली को अधिक मात्रा में, सही दिशा में प्राप्त करना व अच्छे प्रकार धारण करना। सुन्दर, चमकीली, स्थिर बिजली रात में चमकती है व बहुतों को जीवन देती है
- मन्त्र में बिजली के विषय में कहा गया है कि वह आधुनिक विषय पर कृत्रिम बुद्धिमान् (AI) की भांति व्यवहार करती है। बिजली को प्राणियों के लिये सुरक्षित व कम वोल्टेज पर उपयोग करें।
- सूर्य में बड़ी प्रक्रिया से सूर्य की अच्छी ज्वालाओं द्वारा उपयोगी प्रकाश का उत्सर्जन होता है व प्रकाश सभी ओर से बंधा हुआ व पूर्ण रूपेण आच्छादित आकाश में चमक रहा है।
- बिजली के सुरक्षित व अहिंसक व्यवहार द्वारा वह प्राणी के रक्षक के रूप में कार्य करती है। यह कार्य वह इंसूलेशन के रूप में बिजली के चालकों को ढक कर उसे सुरक्षित करती है।
- सूर्य चमकता है जिससे ब्रह्माण्ड में प्रकाश तरंगें फैलती हैं।
- अच्छे लोग बिजली के सहयोग से सुन्दर उपयोगी हल्का प्रकाश उत्पन्न करते हैं। तेज सूर्य का प्रकाश कीटाणुओं का नाश करता हैं।
- रेडियो एक्टिव धातुओं में से तीव्र रेडियोएक्टिव विकरण के उत्सर्जक अर्थात् कम हाफ-लाइफ व उनके आइसोटोप का शुद्ध अग्नि के समान परमाणु विद्युत उत्पादक के नाभकीय रिएक्टर (in neuclear reac-tors of atomic power generators) में उचित उपयोग किया जाता है।
- बिजला के तारों के उपर 5 धागों को ब्रेडिंग के रूप में लपेटा जाता है जिससे वे उन तारों पर इंसुलेशन का कार्य करते हैं व उन तारों को सुरक्षित कर देते हैं।
- प्रकाश प्रातः सायं दो बार संभवतः सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद समस्त कार्यों को पूर्ण करने के लिए उत्पन्न किया जाता है।
- यह मन्त्र उच्च वोल्टेज के साथ उपकरणों को उपयोगी बना कर कार्य को सुचारु रूप से करने के लिए आदेश देता है। जो विद्युत उपकरणों के कार्य के ज्ञाता हैं वे आदरणीय हैं।
- ज्ञानी जन बिजली के उतार चढ़ाव को विज्ञान द्वारा स्टेबलाइजर के उपयोग से (using stabliser) सहन करते हैं।
- पवन चक्की से बिजली को लेने के लिए तेज चलने वाली हवाओं के बल की आवश्यकता होती है। सुचारु क्रिया से बिजली व धन प्राप्त होता है।
- अधिक ऊर्जा पाने के लिए प्रिय जन का गुणगान करें। ज्ञानी का, नायक के समान दाता का, आपकी चिंता करने वाले का व गुणगान करने के योग्य व्यक्ति का गुणगान करें।
पंचम अध्याय में ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के सूक्त 7 के 11 मन्त्रों का भाष्य उसी प्रक्रिया को मानते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से किये गये हैं। मंत्रों के भाष्य का वैज्ञानिक दृष्टि से विस्तार किया गया है। इनमें निम्न विषय दर्शाये गये हैं।
- इस सुन्दर व प्रशंसनीय बिजली व उसके अहिंसक कार्य को लोगों द्वारा संगृहीत करने के लिए बिजली को ग्रहण किया जाता है। लकड़ी से ढकी हुई बिजली (wood as electrical insulator) ब्रह्माण्ड के लिए सभी उपयोगों में चमकती है। बिजली को गहन विज्ञान के साथ उपयोग करें।
- बिजली सर्वत्र सुखद व चमकीली है। इसका विशेष आवश्यकतानुसार विशेष विज्ञान द्वारा मितव्यता से उपयोग सराहनीय है।
- प्रकाश सभी घरों में सर्वत्र खुशियां उत्पन्न करता है यह कार्य सूर्य व तारों के अविनासी कार्य द्वारा होता है। विजली का परीक्षण नियम पूर्वक व उसका उपयोग भी नियम पूर्वक करना चाहिए।
- तेज चलने वाला सूर्य का प्रकाश विकरण के समान है। उससे ज्ञानी जन बिजली पैदा करते हैं। बिजली से समस्त संसार प्रकाश ग्रहण करता है और प्रसन्न होता है।
- बिजली द्वारा जनित सुविधा के अनुसार सुन्दर सृष्टि की चमक के स्थानों को उस प्रकाश की अग्नि के रूप में प्रत्येक प्रकार के योगों को एकत्रित करके ग्रहण करने के लिए ज्ञानी जन नायक व प्रसिद्ध हैं।
- सदियों से स्थापित ज्ञान के अनुसार प्रकाश किरणों में ब्रह्माण्डीय पदार्थ उपस्थित हैं, इसको बिजली के विभिन्न कार्यों में उपयोग नहीं करते। इसे जानें व उपयोग करें।
- बिजली चिड़िया की भांति तेज चलती है। महान् बिजली ज्ञानी है।
- आपको कार्य को सुचारु रूप से करने का इच्छुक होना चाहिएं।
- महान् गुणकारी अविनाशी गुण वाली फैली हुई तरंगें पृथिवी व आकाश में संदेश फैलाती हैं। प्रकाश के ज्ञान द्वारा आनन्द दायक स्वीकार्य प्राचीन ज्ञान कार्य कर रहा है।
- सूर्य चमकीला व सुन्दर ग्रह तेज चलने वाला है। सूर्य की किरणों को लेना आवश्यक है। पूर्ण रूप से उगा हुआ सूर्य भी शीघ्र प्राप्त होता है, जो वस्तुतः विकरण जैसा प्रतीत होता है, इसका स्वागत करें।
- पेड़ों में उत्पन्न हलचल, चलती हुई दिखने वाली वायु शक्ति और तेज चलती ध्वनि सरलता से बिजली उत्पन्न करती है।
- रेडियो एक्टिव पदार्थ खर्च होने से (एल्फा, बीटा विकरण द्वारा) बिजली देते हैं। बिजली को जानें व कार्य में उपयोग करें।
- सूर्य तेज चलता है और उससे निरन्तर तेज चलती ऊर्जा व बिजली मिलती है। तेज चलते विकरण को शक्ति मिलती है। ज्ञानी जन वायु शक्ति द्वारा बिजली बनाकर तेजी से कार्य करते हैं।
षष्ठ अध्याय में ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के सूक्त 6 के 11 मन्त्रों का भाष्य उसी प्रक्रिया को मानते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से किये गये हैं। मंत्रों के भाष्य का वैज्ञानिक दृष्टि से विस्तार किया गया है। इनमें निम्न विषय दर्शाये गये हैं।
- उपभोक्ता सभी में उपस्थित दिव्य कणों को संगृहीत करके अच्छे विकरण का सुचारु रूप से उपयोग करें।
- सूर्य के विकिरण के साथ आने वाले द्रव्य को रोका जाना चाहिए। इन कणों में कौन बड़ा है और कौन इस संसार में सबसे अच्छे प्रकार से प्राप्य है, हमें इस विषय का ज्ञान होना चाहिये।
- ज्ञानी जन बिजली द्वारा घरों में सौन्दर्य के लिए उन द्रव्यों का स्वागत करते हैं, जिन्हें वे जानते हैं।
- रेडियोएक्टिव पदार्थ को खाने वाला विकरण (एल्फा, बीटा विकरण कण) प्राप्त किया जाता है। वह विकरण जो विशेष रूप से प्रकाश के साथ कार्य करता है रोका जाता है। विकरण को जानें और इसका अच्छी प्रकार से उपयोग करें।
- बिजली की उपयोगिता का ज्ञान दें, सौन्दर्य के लिए पदार्थ दें और दिव्य जल बनायें।
- ज्ञानी जन बिजली के गुणों को सुनते हैं और गुणों को कार्यरूप देते हैं। वे धन, भव्यता व शक्ति के साथ आराम करते हैं और आनंदित होते हैं।
- हम में से अधिकांश लोगों ने अच्छे वैभव की सदैव कामना की और उसे पाया। शक्ति एवं भोजन के साथ वैभव प्राप्त होने की हम कामना करते हैं।
- बिजली शक्ति के द्वारा प्रजाओं में वैभव के साथ चमकती है। प्रेरक जन बुराइयों त्रुटियों का गहनता से अध्ययन करते हैं और वे प्रशंसित होते हैं।
अध्याय 7 में सभी 3 से 6 अध्यायों के विषयों के निष्कर्ष सारांश पर चर्चा व विवेचना की गई है। इसका निष्कर्ष निम्न बिन्दुओं से निकलता है-
इन 45 मन्त्रों की वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचना करने पर इन मन्त्रों में रेडियो एक्टिव पदार्थ, उनकी सावधानियाँ व उनके उपयोग, बिजली का विभिन्न ऊर्जाओं से निर्माण, दिव्य जल का उपयोग, बिजली के गुण एवं उपयोगता, प्रकाश के तरंग सिद्धान्त का ज्ञान मिलता है। साथ ही अनुभव के आधार पर विशेष निर्देश भी दिये गये हैं। मन्त्रों में कहा गया है कि-
- रेडियो एक्टिव पदार्थ संबन्धी ज्ञान
- विद्युत निर्माण संबन्धी ज्ञान
- विद्युत उपयोग संबन्धी ज्ञान
- प्रकाश संबन्धी ज्ञान
डा० शिव प्रकाश अग्रवाल
बी० ई०-इलैक्टिकल, आई० आई० टी०, रुड़की
एम०ए०-वैदिक साहित्य, गु० कां० वि०, हरिद्वार
पी-एच० डी० वेद, गु० कां० वि०, हरिद्वार
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