पाठकों से निवेदन – मनुस्मृति के प्रक्षेपों के अनुसन्धान और अनुशीलन का यह कार्य कुछ निश्चित साहित्यिक मानदण्डों के आधार पर सम्पन्न करने का दायित्व मैंने स्वीकार किया। अपनी अल्पमति के आधार पर २५-३० वर्ष की अल्पायु में भी यथाशक्ति परिश्रम करके जैसा भी इसे कर पाया हूँ, वह मनुस्मृति आपके हाथों में है। निःसन्देह यह अत्यन्त कठिन, उलझनभरा और विवादास्पद कार्य है, जिसे अभी तक इस रूप में किसी के द्वारा सम्पन्न नहीं किया गया, जबकि अब से बहुत पहले यह कार्य हो जाना चाहिए था। ऐसे उलझन भरे कार्य में कहीं-कहीं कमियों और त्रुटियों का रह जाना सम्भव है, अतः विद्वान् पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस पर मनन करके मेरी त्रुटियों को क्षमा करते हुए, मुझे उनसे अवश्य अवगत करायें और इस विषयक सुझाव प्रदान करें, जिससे मनुस्मृति के अगले संस्करण में अधिक से अधिक परिष्कार किया जा सके।
निवेदक- सुरेन्द्रकुमार
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