क्या खायें और क्यों
Kya Khayen aur Kyon

180.00

  • By :Dr. Ganesh Narayan Chauhan
  • Subject :About Diet
  • Binding :Paperback

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Description

हम क्या खाएँ , क्या नहीं खाएँ , स्वस्थ रहने के लिए क्या करें ? इस पर विचार ही नहीं करते । हम तो केवल कमाने – खाने और मौज – मस्ती पर ही ध्यान देते हैं । शरीर की चिन्ता डॉक्टर करे । इसी का परिणाम है कि हमारे मन का ध्यान शरीर पर केवल तब ही जाता हैजब हमें पीड़ा या असुविधा का आभास होता है , अन्यथा नहीं ।

हमें इतना सोचना ही चाहिए कि जो आदमी अपने शरीर का ही सगा नहीं रहता वह दूसरे का सगा कैसे हो सकता है ? इसीलिए आज हम स्वार्थी [ स्व + अर्थी अर्थात् खुद के हितैषी ] भी नहीं रहे । केवल प्रार्थी [ दूसरों से ही सारी अपेक्षा करने वाले ] बन कर रह गए हैं ।

हमारे यहाँ कहावत है कि ” आप मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता । ” शायद इसीलिए हम धरती पर रहकर ही साक्षात नरक भोग रहे हैं । चिकित्सा विज्ञान शरीर को वसा , विटामिन , प्रोटीन , हार्मोन , कार्बोहाइड्रेट , खनिज पदार्थ या धातु आदि की दृष्टि से देखता है । आए दिन समाचार छपते हैं कि अमुक विटामिन या प्रोटीन से अमुक रोग में लाभ होता है ।

जीवन भगवान की सर्वोत्तम भेंट है और निरोग रहना सबसे बड़ा वरदान निरोग रहने के लिए आवश्यक है — पोषक भोजन । हम स्वस्थ रहने के लिए कब , क्या खायें जिससे भोजन से न केवल उदरपूर्ति ही हो , बल्कि दवा की तरह प्रभाव डालता हुआ वह हमें स्वस्थ रखे , इस ज्ञान की आवश्यकता है । भोजन स्वस्थ जीवन व्यतीत करने का आधार है । खाया जाने वाला भोजन यदि रुचिकर हो एवं पच ( Digest ) जाये तो हम स्वस्थ रहेंगे ।

स्वास्थ्य रक्षक आदर्श भोजन के लिए आधुनिक विज्ञान में अनेक चार्ट मिलते हैं जिनमें कैलोरीज के हिसाब से नित्य कितनी मात्रा में कार्बोज , प्रोटीन , विटामिन आदि अलग – अलग खाद्य पदार्थों की मात्रा दी हुई होती है , परन्तु पाचन ठीक न होने से उतनी कैलोरीज हमें तत्त्व रूप में नहीं मिलती , जितनी हम खा जाते हैं ।

परिणाम यह होता है कि हम बीमार पड़ जाते हैं । अतः भोजन पर विशेष ध्यान देकर वे खाद्य सही ढंग से खाने चाहिएँ जो शरीर का पोषण करते हुए रोगमुक्त करने में औषधि की तरह क्रिया करें । इस पुस्तक में इसी आधार पर ‘ भोजन के द्वारा चिकित्सा ‘ बताई गई है । रोगी का इलाज चिकित्सालय की अपेक्षा भोजनालय में होना चाहिए । हमारे दैनिक जीवन में हम मृतप्राय भोजन लेते हैं ।

यदि हम भोजन में सुधार और संयमपूर्ण जीन व्यतीत करते रहें तो शतायु होने से कोई रोक नहीं सकता । गीता में कहा भी है कि सात्विक आहार और आवश्यकता से कम खाने से आयु बढ़ती है । पेट को अन्न से खाली रखो , ताकि उसमें भगवान का दर्शन कर सकें । खान , पान कितना ही स्वादिष्ट हो , जो भी खायें भली प्रकार चबा – चबा कर खायें । आदमी अधिक खाकर जल्दी मरता है , कम खाकर नहीं ।

खाइये कम , पचाइये ज्यादा , सदा हँसमुख रहिए । परहेज या पथ्य ठीक न होने पर दवा कोई प्रभाव नहीं कर सकती । स्वास्थ्य , सौन्दर्य आवश्यकतानुसार भोजन से अच्छा रहता है । आपकी जीवनचर्या जितनी प्रकृति के निकट होगी . आप उतने ही स्वस्थ एवं चिरायु होंगे । यदि भोजन शुद्ध है तो सात्विकता आती है । सात्विकता से अटल स्मरण शक्ति बढ़ती है

जुकाम , सर्दी , न्यूमोनिया आदि रोग बार – बार हो जाते हैं । काम करने की शक्ति घट जाती है । थोड़ा – सा काम करने पर भी थक जाता है और जवानी में ही बूढ़ा होने लग जाता है । विटामिन ‘ सी ‘ की उपयोगिता – सगर्भा एवं दूध पिलाने वाली माताओं के लिए यह आवश्यक है ।

उदर , आन्त्र एवं यकृत के अनेक रोगों में यह उपयोगी है । शरीर की वृद्धि , भार की वृद्धि , क्षुधा बढ़ाने और रक्त निर्माण में इससे सहायता मिलती है । बालकों के आहार में यह अनिवार्य है । स्कर्वी रोग को रोकने और ठीक करने के लिए यह मानी हुई औषधि है । विटामिन ‘ सी ‘ के स्रोत – विटामिन ‘ सी ‘ प्राकृतिक रूप से सन्तरे , नीबू , मौसमी आदि रसदार फलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ।

चौलाई , पत्ता गोभी , कच्ची बन्द गोभी , छोटी गाजर , प्याज , टमाटर , मूली , धनिया , पालक , चुकन्दर , नाशपाती , बेर , अनन्नास , अमरूद में यह पाया जाता है । आँवला तो लगभग सम्पूर्ण विटामिन ‘ सी ‘ ही है । आँवले को पकाने पर भी इसमें से विटामिन ‘ सी ‘ नष्ट नहीं होता ।

आँवला शुक्रवर्धक है । रक्त पित्त का नाश करता है । आप सूखे आँवले को पीसकर कपड़े से छान कर शहद में मिलाकर 3 ग्राम नित्य 4 महीने सेवन करके अपनी कायापलट कर सकते हैं । आपकी भूख बढ़ जायेगी । गहरी नींद लाने , मानसिक शक्ति बढ़ाने , दिल को शक्ति देने , बाल काले चमकदार बनाने , सिर दर्द आदि रोगों को दूर करने में आँवला बड़ी – बड़ी पेटेण्ट औषधियों से भी अधिक लाभदायक है ।

आँवले को पीस कर , इसकी गोलियाँ बनाकर 6 गोली दिन में 3 बार निगल लें ( “ भोजन के द्वारा चिकित्सा ‘ पुस्तक में ‘ आँवला ‘ शीर्षक पाठ भी देखें ) । हरी सब्जियों को कच्चा खाकर , उनका रस प्रतिदिन पीकर आप लम्बी आयु प्राप्त कर सकते हैं , बुढ़ापे में भी जवानों की भाँति काम कर सकते हैं । विटामिन ‘ ए ‘ – यदि आपकी दृष्टि कमजोर हो चुकी है । आपको रात को कम दिखाई देता है या रात को अन्धे हो जाते हैं ।

आँखें खुश्क , उनमें खुजली और जलन होती है । प्रकाश को सहन नहीं कर सकर्ती , उनमें चमक नहीं रही , बुढ़ापे में मोतिया उतरने लग गया है । आँखें धुँधली हो चुकी हैं । वृक्कों में बार – बार पथरियाँ बन जाती है । चर्म पर पिन के सिरे जैसे उभार पैदा हो चुके हैं ।

जवानी में दाँत हिलने लग गये हैं तो इन लक्षणों का यह अर्थ है कि आपके शरीर में विटामिन ‘ ए ‘ की कमी हो गई है । ये सब लक्षण विटामिन ‘ ए ‘ वाले खाद्य – ताजा हरी चौलाई , पत्ता गोभी , धनिया , पोदीने के हरे पत्ते , मूली के हरे पत्ते , मेथी , पालक , गाजर , पपीता , आम , मक्खन खाकर दूर कर सकते हैं ।

ऊपर लिखी सभी सब्जियाँ कच्ची खाकर , उनकी चटनी बनाकर , पत्तों का रस निकाल कर प्रयोग कर सकते हैं । इस विधि से 3-4 मास तक खाने से ऊपर लिखे सारे रोग दूर हो जायेंगे ।

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