हठरत्नावली
Hatharatnavali

235.00

AUTHOR: GIRIRATNA MISHRA
SUBJECT: Hatharatnavali
CATEGORY: YOGA BOOK
LANGUAGE: SANSKRIT TEXT WITH HINDI TRANSLATION
EDITION: 2021
ISBN: 9789389665291
PAGES: 157
COVER: PAPERBACK
OTHER DETAILS 9.00 X 6.00 INCH
WEIGHT 200 GM
Description

पुस्तक परिचय

योग के विभिन्न स्वरूपों में क्रिया शैली के आधार पर सर्वाधिक स्पष्ट व विस्तृत योग मार्ग है हठयोग। इस योग में आरम्भ से लेकर समाधि पर्यन्त समस्त कृत्याकृत्यों का जो वर्णन मिलता है। वह अन्यत्र नहीं मिलता। भगवती श्री कुल-कुण्डलिनी के उद्दीपन को लक्षित इस योग द्वारा कायिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। तो यह कहना गलत न होगा कि यह योग भोग व मोक्ष दोनों को सिद्ध करता है।

हठरत्नावली में अष्टकर्म, वज्रोली व खेचरी मुद्रा का अत्यन्त विषद वर्णन है। लेखक ने अपनी गुरु परंपरा के ज्ञान को पुस्तक में निचोड़ कर उस ज्ञान को अमर कर दिया है। योग क्रियाओं के साथ कृत्याकृत्य व मनोकायिक व आध्यात्मिक लाभ भी बताए हैं। ऐसे में यह पुस्तक योग के विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त उत्तम है।

हठरत्नावली का यह संस्करण विद्यार्थियों को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इस संस्करण में मूल श्लोक के साथ हिन्दी सर्वेश्वरी व्याख्या, लघुप्रश्नोत्तरी व पारिभाषिक शब्दावली भी दी गई है। इसमें प्रयास किया गया है कि विभिन्न वर्णित यौगिक क्रियाओं का अन्य ग्रन्थों के आधार पर आकलन कर दिया जाए जिससे विद्यार्थियों को क्रिया के भेद ज्ञात हो सकें।

हठरत्नावली

हठरत्नावली हठयोग का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस पुस्तक के रचीयता श्रीनिवासयोगी हैं। यह ग्रन्थ चार उपदेशों में विभक्त है। हठयोग ग्रन्थ के अध्याय सामान्यतया उपदेशात्मक होते हैं। इस ग्रन्थ में हठयोग के लगभग सम्पूर्ण क्रियात्मक पक्ष को समाविष्ट किया है वहीं पर अष्टकर्म व अष्टांग योग इसका वैशिष्ट्य है।

ग्रन्थ में वज्रोली व खेचरी मुद्रा का विशेष वर्णन है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीनिवास योगी ने अपनी गुरु परंपरा की कई क्रियाओंका वर्णन किया है, यहां पर खेचरी मुद्रा के अंतर्गत वर्णित संकेत नामक उपकरण इस तथ्य का उदाहरण है। आपने अपने पिता को गुरु स्वरूप कहा है।

यह इस बात की ओर संकेत करता है कि आप शायद गृहस्थ रहे होंगे और इसी कारण वज्रोली का इस प्रकार का वर्णन आपने किया है।

इस ग्रन्थ का अब तक कोई हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं था, हां दो अंग्रेजी अनुवाद अवश्य थे। यह हिन्दी अनुवाद भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा योग के राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा के पाठ्यक्रम के अनुरूप है।

इस ग्रन्थ में चारों उपदेशों का अनुवाद, प्रत्येक उपदेश की अलग लघुप्रश्नोत्तरी व पारिभाषिक शब्दावली समन्वित हैं। इसके अलावा प्रत्येक यौगिक क्रिया के विभिन्न भेदों को निरूपित करने का प्रयास किया है।

Additional information
Author

Language

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “हठरत्नावली
Hatharatnavali”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shipping & Delivery