भावार्थप्रकाशः
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने कुल 7595 मन्त्रों पर भाष्य लिखा है, जो उनके विभिन्न ग्रन्थों में मिलते हैं। लेखक ने उन मन्त्रों का, उनके संस्कृत व हिन्दी भावार्थ का, विषयानुसार वर्गीकरण कर दिया है। वेव का अध्येता एवं शोधकर्त्ता जिस भी विषय पर प्रमाण चाहेगा, तो उसे तत्तसंबंधी सभी वेद मन्त्र एवं भावार्थ एक ही स्थान पर संगृहीत मिल जायेंगे।
लेखक ने ‘भावार्थ प्रकाश’ के वर्गीकरण का आधार महर्षि दयानन्द की अमर कृति ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के समुल्लास तथा उसमें वर्णित विषयों को आधार बनाया है। जैसे ईश्वर नाम वाले समस्त भावार्थ को प्रथम समुल्लास का नाम दिया है।
बालशिक्षा वाले भावार्थ को द्वितीय समुल्लास, विद्याविषयक भावार्थ को तृतीय समुल्लास, परिवार, गृह-व्यवस्था एवं उससे बनने वाले समाज एवं समाज के घटक चारों वर्णों से संबंद्ध मन्त्र-भावार्थ को चतुर्थ समुल्लास मान लिया। इसी प्रकार आश्रम व्यवस्था के शेष घटक वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम से संबंद्ध मन्त्र-भावार्थ के पंचम समुल्लास की संज्ञा दी है। इसी प्रकार राज्य, राष्ट्र, राजा एवं राजनीति विषयक समस्त मन्त्र भावार्थ संग्रह को षष्ठ समुल्लास में आबद्ध कर दिया है।
स्वाध्याय में रुचि रखने वाले स्वाध्यायशील जन-मानस में सवा यह शंका रहती है. कि मन्त्रों के विषय में कोई तारतम्य नहीं दिखता, इस ग्रन्थ रत्न से उनकी यह समस्या भी सदैव के लिए हल हो जाएगी। अब वे इस ग्रन्थ-रत्न के आधार पर यदि स्वाध्याय करेंगे तो उन्हें रस आयेगा तथा श्रुति-सरस्वती प्रवाह में सानन्द स्नान कर सकेंगे।
वैदिक शोधकर्त्ता भी अपने अभीष्ट विषयों को इस ग्रन्थ में सहजता से प्राप्त कर सकेंगे। यह उनके लिए भी प्रकाश स्तम्भ का काम करेगा।
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