- You cannot add "आयुर्वेदीय पंचकर्म विज्ञान Ayurvediya Panchkarma Vigyan" to the cart because the product is out of stock.
Bhartiya Gyan sangrah – 2 volumes भारतीय ज्ञान संग्रह – दो खंड
₹260.00
| AUTHOR: | Bhai Rajeev Dixit |
| SUBJECT: | Bhartiya Gyan sangrah – 1-2 | भारतीय ज्ञान संग्रह – 1-2 |
| CATEGORY: | Ayurveda |
| LANGUAGE: | Hindi |
| EDITION: | 2017 |
| PAGES: | 285 |
| PACKING: | 2 volumes |
| BINDING: | Paper Back |
| WEIGHT: | 5490 GRMS |
भारतीय ज्ञान संग्रह – 1
| विषय | ||
| प्रकाशकीय | 9 | |
| भूमिका | 11 | |
| भोजन पकाने का नियम | 13 | |
| आपका नमक कैसा हो | 15 | |
| मिट्टी के बर्तन की उपयोगिता | 16 | |
| आटा चक्की की उपयोगिता | 18 | |
| भोजन करने का नियम | 19 | |
| शरीर के वेगों का महत्व | 24 | |
| पानी पीने का नियम | 25 | |
| लोटे का महत्व | 30 | |
| लार की उपयोगिता | 31 | |
| मोक्ष का मार्ग | 32 | |
| शरीर श्रम की आवश्यकता | 33 | |
| जलवायु और दिनचर्यां का संबंध | 34 | |
| औषधीय पेयो का महत्व | 34 | |
| विरूद्ध आहार | 35 | |
| सोने का नियम | 37 | |
| आपका तेल कैसा हो | 40 | |
| गुड़ का महत्व | 42 | |
| चीनी खाने से होने वाले नुकसान | 44 | |
| भारतीय रसोई घर का महत्व | 44 | |
| प्राकृतिक और अप्राकृतिक मिठास | 45 | |
| बचपन की दिनचर्या | 45 | |
| जवानी की दिनचर्या | 49 | |
| बुढ़ापे की दिनचर्या | 51 | |
| उपवास का नियम | 51 | |
| शारीरिक मुद्राओं का नियम | 52 | |
| भूमिका ( रोगी स्वयं चिकित्सक) | ||
| ध्यान देने योग्य बातें | 55 | |
| त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) | 56 | |
| उच्च रक्तचाप | 58 | |
| निम्न रक्त चाप | 59 | |
| हृदय रोग | 60 | |
| मिरगी | 61 | |
| लकवा / पक्षाघात | 64 | |
| आधा सीसी (माइग्रेन) | 65 | |
| कमर दर्द | 66 | |
| अर्थराइटिस / गठिया (सन्धिवाद) | 67 | |
| याद्दाश्त कम होना | 67 | |
| अनिद्रा | 68 | |
| सिरदर्द | 69 | |
| रात में नाक बजना | 70 | |
| मधुमेह (डायबिटीज) | 70 | |
| बच्चों और बुजुर्गों के मूत्र रोग | 70 | |
| बहुमुत्र – (बार-बार पेशाब आना) | 72 | |
| मूत्राशय प्रदाह (जलन) | 73 | |
| गुर्दे की पथरी मूतखड़ा | 73 | |
| शीघ्र पतन | 74 | |
| स्वप्नदोष | 75 | |
| नपुंसकता | 76 | |
| एस.टी.डी | 77 | |
| एड्स | 78 | |
| आँख दुखना, आँखों की सूजन एवं जलना | 78 | |
| गुहेरी | 79 | |
| रतौंधी | 80 | |
| मोतियाबिन्द | 80 | |
| कान के रोग | 81 | |
| फोड़े-फुंसी और दर्द | 81 | |
| नाक के रोग | 81 | |
| दाँतों की सड़न या दाँतों में कीड़े लगना | 82 | |
| दातों का दर्द | 83 | |
| टूथ ब्रश मत करो | 83 | |
| पायरिया | 84 | |
| कब्ज/वायुविकार/अजीर्ण | 85 | |
| पेट दर्द और अम्लपित्त | 87 | |
| ऐसिडिटी/अल्सर | 88 | |
| अतिसार एवं संग्रहणी / जुलाब | 88 | |
| पीलिया (जॉन्डिस) | 89 | |
| बवासीर (अर्श) / भगन्दर | 90 | |
| एक्जिमा / सोराइसिस | 91 | |
| खाज खुजली | 92 | |
| फोड़ा फुन्सी | 92 | |
| दाद (छाजन) | 93 | |
| जलजाना | 94 | |
| मुँह के छाले | 95 | |
| श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) | 96 | |
| रक्त प्रदर | 96 | |
| मासिक धर्म की अनियमितता | 97 | |
| मासिक धर्म की अधिकता | 97 | |
| स्त्री विशेष | 98 | |
| मोटापा | 98 | |
| न्यूमोनिया | 100 | |
| टांसिल्स | 101 | |
| दमा अस्थमा | 102 | |
| स्नोफीलिया | 103 | |
| नजला जुकाम/एलर्जी | 104 | |
| सर्दी, खाँसी, जुकाम | 104 | |
| तपेदीक (टी0वी0) | 105 | |
| बांझपन | 106 | |
| पढ़ते-पढ़ते झपकी आना | 107 | |
| यूरिक ऐसिड | 107 | |
| थायराइड | 107 | |
| नशा छुडाने की चिकित्रा | 108 | |
| बुखार (ब्रेन मलेरिया / टायफाइड / डेंगू / स्वाइन फ्लू) | 109 | |
| चिकन गुनिया (बुखार) | 110 | |
| बालों की चिकित्सा | 111 | |
| तनाव को कम करने के उपाय | 112 | |
| कैंसर | 113 | |
| गर्भाशय कैंसर और स्तन कैंसर | 114 | |
| घाव – गैंगरिन | 115 | |
| एक्सीडेन्ट | 116 | |
| स्वाइन फ्लू | 116 | |
| साँप काटने पर औषधि | 117 | |
| बिच्छू का डंक / काँटा आदि का ईलाज | 117 | |
| कुत्ते ने काट लिया | 118 | |
| परहेज | 119 | |
| शरीर से जहर निकालने के लिए | 120 | |
| होम्योपैथी दवायें | 121 | |
| त्रिफला का महत्व | 122 | |
| दालचीनी का महत्व | 127 | |
| मेथीदाने का महत्व | 130 | |
| चूने का महत्व | 132 | |
| देशी गाय का महत्व | 138 | |
| देशी गौ मूत्र का महत्व | 138 | |
| देशी गाय के घी का महत्व | 140 | |
| वात पित्त कफ : एक दृष्टि में | 140 | |
| स्वस्थ रहने की कुन्जी | 141 | |
| सौन्दर्य चिकित्सा | 141 | |
| भारतीय ज्ञान संग्रह – 2 | ||
| विषय सूची | ||
| प्रकाशकीय | 9 | |
| भूमिका | 12 | |
नाड़ी परीक्षण
|
13 | |
| परिवार नियोजन | 24 | |
गर्भावस्था के पूर्व के नियोजन
|
25 | |
गर्भाधान के बाद का नियोजन
|
34 | |
| बच्चे के जन्म के समय नियोजन | 36 | |
| बच्चे के जन्म के बाद नियोजन | 36 | |
| जन्म के बाद माता-पिता का व्यवहार | 36 | |
| जन्म के बाद स्वाध्याय का महत्व | 38 | |
| बच्चों की शिक्षा कैसी हो | 38 | |
| गृहस्थ जीवन का महत्व | 48 | |
| स्नान करने का नियम | 50 | |
| रोगी स्वयं निरीक्षक (कारण व लक्षण के आधार पर रोगों की पहचान एवं उपचार) |
||
| भूमिका | 52 | |
| उच्च रक्तचाप | 53 | |
| निम्न रक्तचाप | 54 | |
| हृदय घात | 55 | |
| मिरगी | 56 | |
| लकवा / पक्षाघात | 57 | |
| माइग्रेन / सिरदर्द | 58 | |
| पीठ का दर्द | 59 | |
| सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस | 61 | |
| अर्थराइटिस / गठिया / आमवात | 62 | |
| याद्दाश्त कम होना | 63 | |
| अनिद्रा | 64 | |
| रात में नाक बजना/खर्राटा | 65 | |
| मधुमेह (डायबिटीज) | 66 | |
| बच्चों के मूत्र रोग | 66 | |
| मूत्र अवरोध | 67 | |
| वृद्धावस्था के मूत्र रोग | 68 | |
| गुर्दे की पथरी / मूतखड़ा | 69 | |
| शीघ्र पतन | 70 | |
| स्वप्नदोष | 71 | |
| नपुंसकता | 72 | |
| हस्तमैथुन | 72 | |
| एड्स | 73 | |
| आँख दुखना / आँख आना | 74 | |
| आँखों की सूजन एवं जलन | 74 | |
| गुहेरी | 75 | |
| रतौंधी | 75 | |
| मोतियाबिन्द | 76 | |
| कान का बहना | 76 | |
| नकसीर | 77 | |
| पायरिया | 78 | |
| अपैन्डिसाइटिस | 79 | |
| कब्ज (कॉन्सटीपेशन) | 80 | |
| एसिडिटी / अम्लता | 81 | |
| अल्सर / पैप्टिक अल्सर | 82 | |
| अतिसार / संग्रहणी | 83 | |
| डायरिया | 83 | |
| हैजा | 84 | |
| फूड प्वायजनिंग / खाद्य विषाक्ता | 85 | |
| लू लग जाना/सन स्ट्रोक | 86 | |
| पीलिया (जॉन्डिस) / हेपैटाइटिस | 87 | |
| बवासीर (अर्श) | 87 | |
| सोराइसिस / एक्जिमा | 88 | |
| दाद (छाजन) | 89 | |
| घमौरियां | 89 | |
| मुँह के छाले | 90 | |
| श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) | 91 | |
| मासिक धर्म की अधिकता (अतिरज) | 92 | |
| मासिक धर्म की कमी (अनार्तव) | 93 | |
| स्त्री विशेष-वेदना रहित प्रसव | 93 | |
| मोटापा | 94 | |
| न्यूमोनिया | 95 | |
| टॉन्सिल्स | 96 | |
| दमा / अस्थमा | 97 | |
| नजला/जुकाम/एलर्जी | 97 | |
| खाँसी | 98 | |
| टी०बी० (तपेदीक) | 99 | |
| थायराइड | 100 | |
| वायरल बुखार | 101 | |
| टायफाइड | 102 | |
| मलेरिया | 102 | |
| डेंगू | 104 | |
| चिकन गुनिया (बुखार) | 105 | |
| स्मॉल पॉक्स (छोटी माता) | 106 | |
| चिकन पॉक्स (बड़ी माता) | 106 | |
| खसरा (मीजल्स) | 107 | |
| स्वाइन फ्लू | 108 | |
| तनाव | 108 | |
| मानसिक तनाव | 109 | |
| कैंसर | 110 | |
| गर्भाशय कैंसर | 111 | |
| बालों की समस्यायें | 112 | |
| जीभ के द्वारा रोगों की पहचान | 112 | |
| ललाट को देखकर रोगों की पहचान | 113 | |
| नाखून के द्वारा रोगों की पहचान | 113 | |
| रसोई विशेष
मेंथी दाना, – पालक / मेंथी, चूना, दालचीनी, – दूधीभोपला/लौकी, हड़द / हल्दी, शहद, जीरा, – – हरसिंगार / पारिजात, धनिया, नमक, -तुलसी, ग्वारपाठा / एलोवेरा/खोरपट, गेंदे का फूल, बैगन/ वांगे, टमाटर, – प्याज/कांदा, देशी गाय का मूत्र, घी, दूध, मुनक्का । |
113 | |
| सिर से पांव तक की संक्षिप्त चिकित्सा :-
सिर का दर्द, केश का झड़ना, बालों का सफेद होना, -रूसी, – आँखों के रोग, कान के रोग, नाक के रोग, दाँत के रोग, गले के रोग, थायराइड, छाती में गाँठ, -माँ को दूध न बनना, बवासीर, गैस की बीमारी, अल्सर, मधुमेह विशेष, -मासिक पारी के रोग, संधिवात, – तबियत मोटी करने के उपाय, मोटापा घटाने के उपाय – बच्चों की लम्बाई बढ़ाने के उपाय, झुनझुनाहट या मूंगे आना, एड़ियां / चेहरा फटना, – सांप काटने की दवा, -बिच्छू काटने की दवा, -मच्छर या चींटी काटने की दवा, – गाय को सांप या बिच्छू काटने पर, -सामान्य नियम एक नजर में। |
127 |
| Author | , |
|---|---|
| Language |

Reviews
There are no reviews yet.