“वैदिक देवों का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्वरूप Vedic Devon Ka Adhyatmik Evam Vaigyanik Swarup” has been added to your cart. View cart
अंग्रेज़ जीत रहा है Angrez Jeet Raha Hai
₹150.00
AUTHOR: | Dr. Dharamvir (डॉ. धर्मवीर) |
SUBJECT: | Angrez Jeet Raha Hai | अंग्रेज़ जीत रहा है |
CATEGORY: | Vedic Literature |
LANGUAGE: | Hindi |
EDITION: | 2020 |
PAGES: | 222 |
BINDING: | Paper Back |
WEIGHT: | 225 g. |
Additional information
Weight | 225 g |
---|---|
Author | |
Language |
Reviews (0)
Be the first to review “अंग्रेज़ जीत रहा है Angrez Jeet Raha Hai” Cancel reply
About Dr. Dharamvir
सारस्वत पुत्र आचार्य धर्मवीर जी महर्षि दयानन्द सरस्वती की उत्तराधिकारिणी 'परोपकारिणी सभा' अजमेर के यशस्वी प्रधान थे। परोपकारिणी सभा के मुख-पत्र एवं आर्यसमाज की अग्रणी पत्रिका 'परोपकारी' में आपके द्वारा लिखे गये सम्पादकीय राष्ट्रीय, सामाजिक, दार्शनिक व आध्यात्मिक विषयों पर सटीक चिन्तन प्रदान करते रहे हैं। आप आर्यसमाज के दिग्गज नेता, वेदों के मर्मज्ञ एवं प्रखर राष्ट्रवादी थे। महर्षि दयानन्द के विचारों के सशक्त व्याख्याता ही नहीं अपितु वेदों के विरुद्ध किसी भी विचार का सप्रमाण उत्तर देना आपकी अनुपम विशेषता थी।
आपका जन्म महाराष्ट्र के उदगीर में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा एवं व्याकरण की शिक्षा गुरुकुल झज्जर में हुई। पश्चात् गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। कानपुर विश्वविद्यालय से आयुर्वेदाचार्य (B.A.M.S.) प्रथम श्रेणी में किया। काँगड़ी विश्वविद्यालय में चरक संहिता का अध्यापन किया। पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
१९७४ से २००६ तक डी.ए.वी. कॉलेज, अजमेर के संस्कृत-विभागाध्यक्ष के पद पर रहते हुये अध्यापन कार्य किया। ज्योतिपुञ्ज आचार्य धर्मवीर जी के निर्देशन में अनेकशः छात्र/छात्राओं ने शोधकार्य पूर्ण किया है। विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र लिखकर प्रबुद्धचेता आचार्य धर्मवीर जी ने वैदिक संस्कृति के चिन्तन की श्रीवृद्धि की है, जो विद्वानों के लिये नवीन आलोक सिद्ध हुआ है। आप ही के सत्प्रयासों से विश्वविद्यालयों में दयानन्द शोधपीठ की स्थापना हुई। १९८३ से आजीवन परोपकारिणी सभा में विभिन्न पदों पर रहते हुए आपने भारतीय संस्कृति, वेद, गुरुकुल परम्परा एवं राष्ट्रीय विचारों को जनमानस तक पहुँचाने का कार्य किया। आस्था, आस्था भजन एवं वैदिक चैनल पर आपकी 'वेद-विज्ञान' एवं 'उपनिषद् सुधा' की व्याख्यान श्रृंखला से वेद एवं उपनिषद् घर-घर तक पहुँचे।
आचार्य धर्मवीर जी ने वैदिक साहित्य के अलभ्य एवं मूल्यवान् ग्रन्थों का अंकरूपण (डिजिटलीकरण) का अद्वितीय कार्य किया है।
विचारक के रूप में, वेदवेत्ता, राष्ट्रभक्त, निडर-लेखक, प्रखर वक्ता, अद्वितीय विद्वान् एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में उनका योगदान स्मरणीय है।
Shipping & Delivery
Reviews
There are no reviews yet.