Teaching Methods for Yogic Practices
Yogabhyashon Ki Adhyapan Vidhiyan (English)

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320.00

  • Author:- Dr. M L Gharote and Shri S K Ganguly
  • Edition:- 2018
  • ISBN:- 8189485253
  • Pages:- 138
  • Cover:- Paperback
Description

लेखक परिचय

डाघरोट :- (जन्म :- २१ मई १९३१एम., एमएड. (शा.शि.) पीएचडी. (नृशाण), पीएच् डी. (वैकल्पिक चिकित्साडीलिट्डीवाय्पी., डीएस्एम्., डीबीपी.    भूतपूर्वसहायक निदेशकवैज्ञानिक संशोधन विभागउप निदेशकदार्शनिक साहित्यानुसन्धान विभागप्राचार्यगोवर्धनदास सक्सेरिया योग एवं सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालयकैवल्यधामलोनावला। आप ने योग पर कई पुस्तकों का लेखन किया तथा उनमें से कतिपय पुस्तकों पर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। आपने विश्व के अनेक भागों की यात्रा करके योग संगोष्ठियों तथा योग सम्मेलनों में भाग लिया तथा योग के शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का भी संयोजन किया। युरोप तथा लेटिन अमेरिका के योग संगठनों में योग सलाहकार के रूपमें भी आप कार्यरत हैं। सम्प्रति लोनावला योग संस्थान (भारतके निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं।

श्री. श्रीमन्त कुमार गांगुली :- (जन्म :- २५ नव्हम्बर १९४२) बी. एस् सी., डी. पी. एड्, सी. सी. वाय्, एम्. पी. ई, डी. वाय् एङ् कैवल्यधाम श्री. मा. यो. मंदिर समिति, लोनावला में योग के भूतपूर्व वैज्ञानिक अनुसन्धानकर्ता । लगभग ५० शोधपत्र ‘योग मीमांसा’ एवं अन्य भारतीया भारतीयेतर शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित। योगासन-ए टिचर्स गाइड, एन्.सी. इ आर. टी. (प्रकाशन १९८३), टीचिंग मेथडस् फॉर योगिक प्राक्टिसेस् (प्रकाशन १९८८) इन दो पुस्तकों के लेखक, जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार द्वारा सम्मानित । वैज्ञानिक शोध कार्य तथा योग सन्देश प्रसारार्थ चेकोस्लोवाकिया,स्पेन एवं इटली आदि देशों द्वारा निमन्त्रित। सम्प्रति १९९६ से कैवल्यधाम के गो.से. योग तथा सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालय के प्राचार्य।

स्वस्तिवचन

यौगिक प्रशिक्षण के इतिहास में ऋषिकेश के स्वामी शिवानन्दजी तथा लोनावला कैवल्यधाम के स्वामी कुवलयानन्द जीइन दोनों मनीषियों का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है। योगवेदान्त फॉरेस्ट युनिव्हर्सिटी का तथा योग एवं सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालय (लोनावलाका निमार्ण २० वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इन्होंने किया  तबसे लेकर आज इक्कीसवी शताब्दी के आरंभ में अनेक देशों में यह कार्य फैल गया है  अब अनेक व्यक्ति एवं संस्थाएँ योग सिखानेका तथा रोगोपचार का कार्य करने लगी हैं। ये शिक्षक मूलतशारीरिक शिक्षाआयुर्वेद या आधुनिक वैद्यकशास्त्र के उपाधि प्राप्त होते हैं। प्रायउन को शिक्षाशास्त्र के मूलतत्त्वों का ज्ञान कम ही होता है  एक व्यवसाय के रूप में योग सिखाने के काम को वे समझते हैंजैसे चित्र खींचनारंग भरना या बढ़ई का काम होता है। इसमें कोई अनुचित नहीं हैबशर्ते कि शिक्षक में निष्ठा एवं सच्चाई हो। अध्यापन के मूलतत्त्वों का ज्ञान तो योगशिक्षा के लिये अपरिहार्य समझना चाहिये। इस के लिये प्रस्तुत पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। दोनों लेखक इस विषय में अनुभवीविशेषज्ञ होने सेप्रत्येक योगशिक्षक के लिये उनकी यह पुस्तक अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये लाभदायक होगी।

Additional information
Weight 170 g
Dimensions 21.59 × 13.97 cm
Author

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Reviews (1)

1 review for Teaching Methods for Yogic Practices
Yogabhyashon Ki Adhyapan Vidhiyan (English)

  1. Kavita

    Best teaching book

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