योगसूत्र-परिशीलन
YogaSutra-Parisheelan

1,250.00

AUTHOR: Pro. Gyan Prakash Shastri(प्रो. ज्ञान प्रकाश शास्त्री)
SUBJECT: योगसूत्र-परिशीलन | YogaSutra-Parisheelan
CATEGORY: Darshan
PAGES: 740
EDITION: 2023
LANGUAGE: Sanskrit-Hindi
BINDING: Hardcover
WEIGHT: 1350 g.
Description

योगदर्शन भारतीय दर्शनों में एक विशिष्ट दर्शन है, जो निज स्वरूप को यथार्थ बोध की अवस्था प्राप्त करने का क्रियात्मक ज्ञान प्रदान करता है। इस शास्त्र का मुख्य भाष्य महर्षि व्यास ने किया है, किन्तु वह भाष्य भी स्वयं समझने में दुरूह प्रतीत होता है। इसी को लक्ष्य करके आचार्य वाचस्पति मिश्र, विज्ञानभिक्षु, भोजराज, हरिहरानन्द आरण्य प्रभृति विद्वानों ने टीकाओं की रचना की, किन्तु वे टीकाएँ भी आज के समय में व्याख्या की अपेक्षा रखती हैं। इन्हीं विषमताओं को दृष्टि में रखकर इस पुस्तक को पूर्ण करने का प्रयास किया गया है, जिसका परिणाम पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है।

आचार्य पतञ्जलि का योगशास्त्र दर्शनशास्त्र की परम्परा से हटकर है, वह व्यक्ति के सामने अपनी कोई दृष्टि प्रक्षेपित नहीं करता, वह मात्र प्रयोग करना सिखाता है कि चित्तवृत्ति निरोध करके संसार के सत्य को देखो और देखकर स्वयं निर्णय करो कि सत्य और असत्य क्या है ? इस क्रम में वे चित्त को निर्मल करने के लिये अनेक उपाय बताते हैं। सत्य को देखने की संकल्पना जहाँ समाधिपाद है, वहीं उस सत्य तक पहुँचने के लिये आचार्य ने साधनपद के नाम से व्यवस्थित दिशा प्रदान की है। तृतीय पाद विभूतिपाद है जिसका अन्तिम चरण तारकज्ञान की प्राप्ति है। चतुर्थपाद जिसे कैवल्यपाद नाम दिया है, उसमें महर्षि पतञ्जलि सिद्धियाँ प्राप्त करने के अनेक मार्ग बताते हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में महर्षि व्यास की व्याख्या को समझते हुए पतञ्जलि के मर्म को छूने का प्रयास किया गया है। वर्तमान युग के आचार्य रजनीश ने पतञ्जलि को सम्पूर्ण योगसूत्रों पर सरल व्याख्यान दिये हैं, जिनसे पतञ्जलि को समझने में सहायता मिलती है। जहाँ महर्षि व्यास को समझने के लिये अक्षरशः व्यासभाष्य के प्रत्येक पद का अर्थ करने के उपरान्त उक्त वक्तव्य के निहितार्थ को अपने शब्दों में व्यक्त किया गया है, वहीं पर आचार्य रजनीश के योगसूत्र के व्याख्यानों के आशय को समझते हुए नीलाभधारा नाम से उन्हें प्रस्तुत किया गया है।

Additional information
Weight 1350 g
Author

Language

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “योगसूत्र-परिशीलन
YogaSutra-Parisheelan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shipping & Delivery