प्राक्कथन
वेद आर्यजाति के प्राण हैं । ये मानवमात्र के लिए प्रकाश – स्तम्भ हैं । विश्व को संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है । वेद ही विश्व वन्धुत्व , विश्व कल्याण और विश्व शान्ति के प्रथम उद्घोषक हैं । वेदों से ही आर्य – संस्कृति का विकास हुआ है , जो विश्व को धर्म , ज्ञान , विज्ञान , आचार – विचार और सुख – शान्ति की शिक्षा देकर उसकी समुन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है ।
वेदों के विषय में मनु महाराज का यह कथन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि ‘ सर्वज्ञानमयो हि सः ‘ ( मनु ० २.७ ) अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं के सूत्र विद्यमान हैं । वेदों में जहाँ धर्म , विज्ञान , दर्शन , आचारशास्त्र , आयुर्वेद , दर्शन और समाजशास्त्र आदि से संबद्ध सामग्री पर्याप्त मात्रा में प्राप्य है , वहीं वैदिक देवों से संबद्ध सामग्री भी सैकड़ों मन्त्रों में प्राप्य है ।
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