आर्ष साहित्य के मुख्य उद्देश्य The main Objectives of Aarsh Sahitya

आर्ष साहित्य का मुख्य उद्देश्य: संपूर्ण विश्व में प्रमाणिक वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार
आर्ष साहित्य (Aarsh Sahitya) का अर्थ है – वह दिव्य साहित्य जो ऋषियों के गहन तप, साधना और दिव्य दृष्टि से उद्भूत हुआ है। यह साहित्य केवल ज्ञान का भंडार ही नहीं, बल्कि मानवता के सार्वभौमिक कल्याण का पथप्रदर्शक है। वेद, उपनिषद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक, स्मृति, महाभारत, रामायण, दर्शनों आदि में जो जीवन के शाश्वत सिद्धांत समाहित हैं, वे पूरे विश्व के लिए समान रूप से उपयोगी और हितकारी हैं।
प्रमाणिक वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार – समय की मांग
आज आधुनिक युग में जबकि ज्ञान-विज्ञान के नाम पर विकृत एवं अप्रमाणिक विचारधाराओं का प्रचार बढ़ रहा है, ऐसे समय में प्रमाणिक वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। वेदों में निहित सत्य, धर्म, विज्ञान, नैतिकता एवं विश्वबंधुत्व के सिद्धांत सम्पूर्ण मानवता को एक सूत्र में पिरोने की शक्ति रखते हैं।
आर्ष साहित्य के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य:
वेदों का सार्वभौमिक संदेश विश्व तक पहुँचाना – “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” की भावना से प्रेरित होकर ऋषियों ने संपूर्ण विश्व को आर्य बनाने का जो संकल्प लिया था, उसे आधुनिक युग में पुनः जागृत करना आर्ष साहित्य का मूल उद्देश्य है।
अप्रमाणिक और विकृत साहित्य का खंडन – आज अनेक विकृत भाष्य और अप्रमाणिक ग्रंथों के माध्यम से वेदों की गलत व्याख्या की जा रही है। आर्ष साहित्य इन भ्रांतियों का खंडन करते हुए यथार्थ वैदिक ज्ञान को प्रस्तुत करता है।
नवपीढ़ी को अपनी वैदिक संस्कृति से जोड़ना – आधुनिक शिक्षा पद्धति ने युवाओं को अपनी जड़ों से काट दिया है। आर्ष साहित्य उन्हें उनके प्राचीन वैदिक गौरव से परिचित कराकर उनके जीवन में उच्च आदर्शों का समावेश करता है।
संपूर्ण विश्व में शांति एवं समरसता का संदेश – वेदों में वर्णित ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ जैसे विचार सम्पूर्ण मानवता में एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
वेदों के वैज्ञानिक पक्ष का प्रचार – वेदों में भौतिक और आध्यात्मिक विज्ञान का अद्भुत समन्वय है। आधुनिक विज्ञान की अनेक खोजें वेदों में पहले से ही वर्णित हैं। आर्ष साहित्य इसका प्रचार कर विश्व को वेदों की वैज्ञानिकता से अवगत कराता है।
आर्ष साहित्य का वैश्विक दृष्टिकोण – आर्ष साहित्य केवल भारतवर्ष तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य विश्व के हर कोने तक वैदिक ज्ञान की ज्योति को पहुँचाना है।
आर्ष साहित्य का मूल उद्देश्य संपूर्ण विश्व में प्रमाणिक वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार कर मानवता को सत्य, अहिंसा, शांति, और नैतिकता की राह पर ले जाना है। यह केवल पुस्तकों का प्रकाशन मात्र नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जागरण अभियान है जो सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान हेतु समर्पित है।