ताकतवर सफल होते हैं

आम मनोवृत्ति है कि हर मनुष्य ताकतवर का सामीप्य चाहता है । ताकतवर के अवगुणों में भी लोग , गुण तलाशने की कोशिश करते हैं । किसी भी लक्ष्य को हासिल करना है । तो उसमें ताकत ( ऊर्जा ) लगाना ही होगी । बिना ताकत के कोई भी सफल नहीं हो सकता । सफलता तभी मिलेगी , और प्राप्त हुई सफलता टिकी भी तभी रहेगी , जब हमारे पास ताकत होगी । जीवन में आँधी – तूफान तो आते ही रहते हैं । ऐसे आँधी – तूफानों में कमजोर पेड़ तो टूटकर गिर जाते हैं , लेकिन मजबूत पेड़ों का कोई आँधी कुछ नहीं बिगाड़ पाती ।
ताकत प्राप्त करने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है , उस ताकत का सही इस्तेमाल कर पाना । जितने भी असामाजिक तत्व हैं , गुण्डे हैं , उनके पास आम आदमी से ज्यादा ताकत होती है । लेकिन जब वे अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं , तो यही ताकत , जो वरदान होती है , ऐसे लोगों के लिए अभिशाप बन जाती है । ताकत सिर्फ शरीर की नहीं होती , मन की ताकत व आत्मबल का भी सफलता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है । जिनका आत्मबल व मन कमजोर है , वे या तो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते ही नहीं , और अगर बढ़ते भी हैं । तो इतने डर के साथ कि शुरूआत में ही खुद को असफल मान लेते हैं । अक्सर हम देखते हैं । कि जिनके पास ताकत नहीं है , उन्हें लाचार होकर दीन – हीन जीवन जीना पड़ता है । यदि समाज में सम्मान के साथ जीना है , अपने लक्ष्यों को हासिल करना है , तो उसके लिए ताकत अर्जित करना ही पड़ेगी ।