योग की उत्पत्ति से लेकर उसके विकास क्रम को बताया गया है । योग के उद्देश्यों के साथ – साथ इसके लक्ष्य का भी निरूपण करते हुए , योग के क्षेत्र में व्याप्त भ्रांतियों का निवारण भी किया गया है । इस पुस्तक में वेदों , उपनिषदों , गीता , सभी भारतीय दर्शनों , योग वासिष्ठ , पुराणों , आयुर्वेद , नारद भक्ति सूत्र व सूफिज़्म में वर्णित योग के स्वरूप का विस्तृत वर्णन पाठकों के ज्ञान में वृद्धि करने का काम करेगा ।
इसके साथ – साथ यहाँ पर सभी प्रमुख योग साधनाओं का भी वर्णन किया गया है । जिनमें ज्ञानयोग , भक्ति योग , कर्मयोग , अष्टांग योग , राजयोग , हठयोग , मत्रं योग व लययोग प्रमुख हैं । प्रत्येक पाठक चाहता है कि उसे कम – से – कम पुस्तकों में अधिक – से – अधिक सामग्री पढ़ने को मिले ।
पाठकों की इस इच्छा को ध्यान में रखते हुए , योगसार पुस्तक में पतंजलि योगसूत्र , हठप्रदीपिका , घेरंड संहिता , हठरत्नावली , सिद्ध सिद्धांत पद्धति , योगबीज , शिव संहिता , वसिष्ठ संहिता व गोरक्ष संहिता आदि यौगिक ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है ।
इसके साथ – साथ पुस्तक में मानव शरीर संरचना विज्ञान , प्राण व उपप्राण का स्वरूप , पंचकोश की अवधारणा , चित्त की भूमियाँ , चित्त की वृत्तियाँ , पंच क्लेश और व नाड़ी तंत्र की जानकारी दी गई है । पाठकों में भी विशेषेकर योग के विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक अध्याय के अंत में परीक्षा के लिए उपयोगी प्रश्नों का संग्रह दिया गया है ।
जिससे विद्यार्थियों को परीक्षा में सहायता मिलेगी । पुस्तक को योग सर्टिफिकेट बोर्ड ( YCB ) व नेट के पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पुस्तक अपने नाम ( योगसार ) को चरितार्थ कर रही है ।
वास्तव में योग की अनेक योग परम्पराओं , योग साधनाओं , योग के प्रमुख ग्रंथों , योग के अर्थ , परिभाषा , उद्देश्यों , लक्ष्य , इतिहास को सार रूप में प्रस्तुत कर रही है । इसलिए पुस्तक के नाम ( योगसार ) में ही इसका अर्थ निहित है । लेखक के रूप में आशा करते हैं कि पुस्तक आपके मनोरथ को पूर्ण करने का काम करेगी ।
धन्यवाद सहित :- डॉ . सोमवीर आर्य
डॉ . धर्मवीर यादव
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