प्रस्तावना
योग विद्या भारतीय संस्कृति के सुदृढ़ आधार स्तम्भों में से एक है । योग के द्वारा जहाँ भारतीय संस्कृति के दार्शनिक पक्ष की पुष्टि हुई है वहीं इसके द्वारा मनुष्य में आध्यात्मिक प्रवृत्ति का भी विकास हुआ है । गीता के आठवें अध्याय के बारहवें श्लोक के अर्थ को देखकर इसकी व्यापकता एवं जटिलता का पता चलता है, जिसमं कहा गया है कि योग की स्थिति सभी ऐन्द्रिय व्यापारों से विरक्ति में है । इन्द्रियों के सारे द्वारों को बन्द करके तथा मन को हृदय में एवं प्राण वायु को सिर की चोटी पर स्थिर करके मनुष्य अपने को योग में स्थापित करता है । मनुष्य को योग में सफलता या सिद्धि केवल तब मिलती है
जब वह योग के सिद्धातों को व्यावहारिक रूप देकर उन्हें जीवन में उतार कर आत्मसात करे । योग महाविज्ञान आज की इसी आवश्यकता की पूर्ति करने में सहायक ग्रंथ है । वेद, उपनिषद् गीता एवं अन्य पुराणों में वर्णित योग विद्या के जटिल पहलुओं को प्रकाश में लाने के साथ साथ व्यावहारिक जीवन के योग का जो स्वरूप प्रस्तुत किया गया है इसके लिये डॉ. कामाख्या कुमार जी को मैं हृदय से साधुवाद देता हूँ तथा उनकी इस रचना को एक अनुपम कृति मानता हूँ ।
भारतीय ऋषि परंपरा ने जन जन के लिये प्रेरणादायी मार्ग दर्शक की भूमिका निभाई है । योगियों संतों ने जीवन साधना के जो सूत्र सिखाए वह सब उन्होंने अपने जीवन की कसौटी पर कसने के बाद ही दिए । उनकी जीवनीयों के माध्यम से योग के विभिन्न पहलुओं को जानने समझने में सहायता मिलती है । प्रस्तुत पुस्तक प्राचीन एवं समकालीन योगियों की साधना एवं उनके सिद्धांतों को प्रतिपादित करने में भी अपनी महती भूमिका निभाता है ।
पुस्तक में दार्शनिक एवं व्यावहारिक पहलुओं का जिस सतर्कता से समावेश किया गया है जिससे इसे पाठ्य पुस्तक के रूप में भी विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा ग्रहण किया जा सकता है । जिन विश्वविद्यालयों में योग के स्नातक एवं परास्नातक स्तर के पाठ्यक्रम चल रहे हैं वहाँ के शिक्षकों एवं छात्रों के लिए यह निश्चित रूप से योग महाविज्ञान एक उपयोगी पुस्तक सिद्ध होगी, ऐसी आशा है ।
विषय सूची | ||
प्रस्तावना | 7 | |
आत्मकथ्य | 9 | |
भाग 1 योग का ऐतिहासिक अध्ययन | ||
1 | योग का अर्थ एवं परिभाषा | 19 |
2 | योग का उद्गम | 27 |
3 | योग की परम्पराएँ | 31 |
4 | योग अध्ययन का उद्देश्य | 36 |
5 | मानव जीवन में योग का महत्व | 40 |
6 | योगी का व्यक्तित्व | 45 |
7 | योग का महत्व | 49 |
8 | वेदों में योग विद्या | 53 |
9 | उपनिषदों में योग का स्वरूप | 58 |
10 | योग वाशिष्ठ में योग का स्वरूप | 64 |
11 | गीता में योग का स्वरूप | 71 |
12 | पुराणों में योग का स्वरूप | 76 |
13 | जैन दर्शन में योग का स्वरूप | 82 |
14 | बौद्ध दर्शन में योग का स्वरूप | 87 |
15 | वेदान्त दर्शन में योग का स्वरूप | 91 |
16 | सांख्य दर्शन में योग का स्वरूप | 95 |
17 | आयुर्वेद में योग का स्वरूप | 99 |
18 | राजयोग | 103 |
19 | कर्म योग | 108 |
20 | भक्ति योग | 114 |
21 | हठयोग | 119 |
22 | पातंजल योग | 124 |
23 | ज्ञान योग | 129 |
24 | मंत्र योग | 134 |
भाग 2 प्राचीन व समकालीन योगियों की जीवनी | ||
1 | महर्षि पतंजलि | 141 |
2 | महर्षि वशिष्ठ | 146 |
3 | महर्षि याज्ञवल्क्य | 150 |
4 | आदि गुरु शंकराचार्य | 155 |
5 | महात्मा बुद्ध | 159 |
6 | योगीराज गोरखनाथ | 164 |
7 | स्वामी रामकृष्ण परमहंस | 168 |
8 | स्वामी दयानन्द | 171 |
9 | श्री अरविंद | 176 |
10 | पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | 179 |
11 | स्वामी शिवानन्द | 183 |
12 | स्वामी कुवलयानन्द | 187 |
13 | परमहंस स्वामी सत्यानन्द सरस्वती | 190 |
भाग 3 योग चिकित्सा | ||
1 | स्वस्थ व्यक्तियों के लिए योगाभ्यास | 197 |
2 | बच्चों एवं किशोरों के लिए योग | 198 |
3 | महिलाओं के लिए योगाभ्यास | 199 |
4 | वृद्धों के लिए योगाभ्यास | 200 |
5 | अनिद्रा व तनाव के रोगियों के लिए योग | 201 |
6 | अवसाद के रोगियों के लिए योगाभ्यास | 202 |
7 | उच्च रक्तचाप एवं योगाभ्यास | 204 |
8 | हृदय रोग एवं योगाभ्यास | 205 |
9 | मधुमेह एवं योगाभ्यास | 207 |
10 | मोटापा एवं योगाभ्यास | 209 |
11 | दमा एवं योगाभ्यास | 211 |
12 | कब्ज अपच एवं योगाभ्यास | 212 |
13 | अर्थराइटिस एवं योगाभ्यास | 213 |
14 | ग्रीवादंश कमर दर्द एवं योगाभ्यास | 215 |
15 | माइग्रेन का योगापचार | 216 |
16 | सायनस का योगोपचार | 217 |
भाग 4 योगाभ्यास विधि | ||
1 | योगाभ्यास हेतु सामान्य निर्देश | 221 |
2 | संधि संचालन के अभ्यास | 223 |
3 | उदर संचालन के अभ्यास | 230 |
4 | शक्ति बंध के अभ्यास | 233 |
5 | विशेष अभ्यास | 236 |
6 | सूर्य नमस्कार | 239 |
7 | ध्यानात्मक आसन | 245 |
8 | शरीर संवर्धनात्मक आसन | 246 |
9 | शवासन | 251 |
10 | प्राणायाम विधियाँ | 253 |
11 | षट्कर्म | 257 |
12 | सोऽहम् साधना | 259 |
13 | योग निद्रा | 260 |
अनुक्रमणिका | 264 |
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