योग रहस्य
Yog Rahasya

Original price was: ₹895.00.Current price is: ₹695.00.

AUTHOR: Dr. Kamakhya Kumar, Dr. Bhanu Prakash Joshi
SUBJECT: योग रहस्य – Yog Rahasya
CATEGORY: Yoga Books
LANGUAGE: HINDI
EDITION: 2011
ISBN: 978-81-87471-592
PAGES: 303
COVER: HARDCOVER
WEIGHT 540 GM
Description

योग एक चेतना परक विज्ञान है। उसमें स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीरों को जागृत, सशक्त और प्रखर बनाने के लिए सोपान निर्धारित हैं । अक्सर हम इस महत्वपूर्ण जीवन को स्थूल शरीर मात्र समझने की भूल करते रहते हैं । इस स्थूल के पीछे कितने तथ्य, कितने रहस्य छिपे हैं इसकी जानकारी न हमें होती है और न ही हम अन्दर झांकना चाहते हैं ।

अस्थियों मांसपेशियों एवं रक्तवाहिनियों से बने इस शरीर को ही सब कुछ मानकर इसके लिए सुख संसाधनों की भरमार कर देना चाहते हैं और अधिक सुख की कामना से भौतिकता को ही लक्ष्य बना लेते हैं, जो मानव जीवन की गरिमा को भुला देने जैसा है। हमने भौतिक जगत में इतनी तेजी से प्रगति की है, सुख सुविधाओं के इतने सरंजाम इकट्ठे किये हैं

नवीनतम टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्थूल शरीर की इतनी सेवा की है कि हम खुद को भूल चुके हैं। ‘स्व’ का अर्थ क्या है, स्व की विशेषता क्या है, इसके भीतर क्या छिपा है इसकी सीमाएं कहां तक हैं – यह एक व्यापक क्षेत्र है और निश्चित रूप से इसका ज्ञान, आधुनिक विज्ञान की इस चकाचौंध प्रगति से कहीं गूढ़ एवं अधिक उत्साजनक है ।

आयुर्विज्ञान ने शरीर की दोषधातुमलमूलम् ही शरीरम् के माध्यम से जो परिभाषा दी है वह स्वास्थ्य के हिसाब से उत्तम है, परन्तु यह शरीर के अन्नमय कोश की परिभाषा हुई। इससे ऊपर प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, एवं आनन्दमय कोश भी हैं जिनका अपना कार्य क्षेत्र है। इनके भीतर होने वाली हलचल से प्रभावित हुए बगैर हम नहीं रह सकते।

योग एक शाश्वत विज्ञान है, ब्रह्म द्वारा निर्दिष्ट, ऋषियों, तपस्वियों तथा दार्शनिकों द्वारा अपनाई गई श्रेष्ठ साधना पद्धति है। यह विशेष ज्ञान जीवन के महत्वपूर्ण तथ्यों को दर्शाने तथा विभिन्न भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों को प्राप्त कराने वाला वह विज्ञान है जिसके माध्यम से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर ऊँचा उठा जा सकता है।

इसके माध्यम से मनुष्य के सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन को सुन्दर और सुखमय बनाने के साथ-साथ उसे मोक्षरूपी परम लक्ष्य की प्राप्ति भी संभव है। इस हेतु ऋषियों ने जो सोपान तय किये हैं उनमें विभिन्न चक्रों (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा एवं सहस्त्रार) का शोधन- जागरण करना, 72,000 नाड़ियों में प्रमुख इडा एवं पिंगला नाड़ियों को संतुलित कर सुषुम्ना का जागरण करना तथा उसके उपरान्त मूलाधार में स्थित कुण्डलिनी को जगाकर, विभिन्न चक्रों के बेधन के माध्यम से परमात्म तत्व की प्राप्ति संभव है।

इस चेतना विज्ञान में सर्वप्रथम मानवी चेतना के स्वरुप, क्षेत्र एवं इससे संबन्धित समस्त ज्ञान जिसके विषय में ऋषियों, संतों, भौतिक विदों एवं दर्शन शास्त्रियों ने समय-समय पर अपने अध्ययन एवं अनुभव के माध्यम से प्रकाश डाला है, उसकी व्यापक चर्चा की आवश्यकता है, जिसे इस पुस्तक में बखूबी उद्धृत किया गया है।

योग रहस्य में प्राण तत्व की गरिमा का विस्तृत उल्लेख है। यह प्राण प्रगति का आधार है। यह प्राण तत्व अपने भीतर प्रचुर परिणाम में भरा पड़ा है और यदि प्रयास किए जाये तो उस शक्ति को विश्व भण्डार से और भी अधिक मात्रा में आकर्षित किया जा सकता है। विश्व के अन्तराल में काम करने वाली समग्र सामर्थ्य के रूप में व्याख्यायित प्राण शक्ति जड़, चेतन दोनों को प्रभावित करती है।

योग विद्या संसार को भारत की एक अमूल्य देन है। आज पश्चिमी सभ्यता योग को जिस तरह अपनी जीवन शैली का अंग बना रही है उसे देखते हुए योग के उद्गमस्थल (भारत) में योग अध्ययन और अभ्यास की ललक बढ़ना स्वाभाविक है।

‘योग रहस्य’ में एक सामान्य पाठक की योग सम्बन्धी जिज्ञासाओं का समाधान तो है ही, उसके वैज्ञानिक और दार्शनिक पहलुओं पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। योग साधना की सैद्धान्तिक और अभ्यास विधि सम्बन्धी विवेचना जैसी दुर्लभ और पठनीय सामग्री का सरल प्रस्तुतिकरण इस पुस्तक की विशेषता है।

इस पुस्तक को योग विद्या में डिप्लोमा एवं डिग्री पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस ओर सहज जिज्ञासु एवं इस विद्या में निपुण होने वाले छात्र-छात्राओं के साथ प्रशिक्षकों हेतु भी प्रयाप्त सामग्री है। उनके लिए निश्चित ही यह एक मार्गदर्शक पुस्तक सिद्ध होगी।

डॉ. कामाख्या कुमार

डॉ. भानु प्रकाश जोशी

विषय सूची
प्रस्तावना vii
भूमिका ix
1 चेतना का अर्थ एवं परिभाषा 19
2  प्राण का अर्थ एवं परिभाषा 27
3 चेतना के समग्र अध्ययन की आवश्यकता 31
4 प्राण का महत्त्व 36
5 चेतना का स्थान एवं क्षेत्र 40
6 प्राण का स्थान व क्षेत्र 45
7 उपनिषद में चेतना का स्वरूप 49
8 ज्योतिष विज्ञान में चेतना का स्वरूप 53
9 वेद एवं उपनिषद में प्राण का स्वरूप 58
10 वैज्ञानिक जगत में मानव चेतना का स्वरूप 64
11  प्राण के भेद 71
12 प्राण के कार्य 76
13 मानव चेतना पर परामनोवैज्ञानिक अनुसंधान 82
14 मानव चेतना की खोज में मनोविज्ञान का जन्मUJ 87
15 कर्मफल का सिद्धांत एवं मानव चेतना 91
16 मानव चेतना का वर्तमान संकट 95
17 मानव चेतना के विविध रहस्य, पुनर्जन्म, भाग्य एवं पुरुषार्थं 99
18 इस्लाम धर्म में मानव चेतना की विकास प्रणालियां 103
19 प्राण-विज्ञान एवं उसकी उपयोगिता 108
20 योग साधना एवं कुण्डलिनी विद्या 114
21 मूलाधार चक्र 119
22 स्वाधिष्ठान चक्र 124
23 मणिपुर चक्र 129
24 अनाहत चक्र 134
25 विशुद्धि चक्र 141
26 आज्ञा चक्र 146
27 सहस्रार चक्र 150
28 अन्नमय कोश 155
29 प्राणमय कोश 159
30 मनोमय कोश
31 विज्ञानमय कोश
32 आनंदमय कोश
अनुक्रमणिका
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