विश्वकर्मा प्रकाश
Vishwakarma Prakash

700.00

AUTHOR: Satish Arya (सतीश आर्य)
SUBJECT: विश्वकर्मा प्रकाश | Vishwakarma Prakash
CATEGORY: Vedic Science
PAGES: 492
EDITION: 2022
ISBN: 9788171107933
LANGUAGE: Hindi
BINDING: Hard Cover
WEIGHT: 700 g.
Description

अथर्ववेद का उपवेद अर्थवेद जो शिल्पशास्त्र है, का एक ग्रन्थ देवशिल्पी विश्वकर्मा द्वारा रचित है, और विश्वकर्माप्रकाश ही वह मान्य संहिता है जो विद्वत्मण्डल में शिल्पशास्त्र के रूप में स्वीकार की जाती है। यही शिल्पशास्त्र वर्तमान काल में वास्तुशास्त्र के रूप में प्रसिद्ध है। शिल्पशास्त्र का दूसरा प्राचीन ग्रन्थ मयमतम है, जो दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। प्राचीन काल में उत्तर भारत में विश्वकर्माप्रकाश में प्रतिपादित शिल्पविज्ञान अधिक प्रचलित रहा है।

विश्वकर्माप्रकाश पर यह प्रस्तुत व्याख्या शिल्पशास्त्र के नियमों को उनके मूलरूप में, ग्रन्थ की अन्तः साक्षी के आधार पर प्रतिपादित करती है। किसी भी मूल ग्रन्थ के यथार्थ स्वरूप को समझने के लिए ग्रन्थ के मूल पाठ को आधार बनाना होता है, न की बाद के व्याख्याकारों द्वारा कृत भाष्य/टीका को। यही विशेषता इसे अब तक के प्रकाशित व्याख्यायों से पृथक कर विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। इस व्याख्या की मुख्य विशेषता यह है कि व्याख्याकर शिल्प = वास्तु के अभ्यास में हैं।

उन्होंने इस ग्रन्थ में माप की इकाई ‘हस्त’ की व्याख्या श्लोक में प्रयुक्त शब्दों के आधार पर कर के उसकी संगति गृह, शय्या, द्वार आदि के निर्माण में लगाई हैं। इसी प्रकार ‘आयादि’ गणना हेतु क्रियात्मक विसंगतियों का भी निराकरण करके उसका शास्त्रीय स्वरूप स्पष्ट किया है। साथ ही साथ श्लोकों में प्रयुक्त ज्योतिष के पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या कर दी गई है, ताकि पाठक को व्याख्या समझने हेतु किसी ग्रन्थ की सहायता लेने की आवश्यकता न रहे।

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