वेद प्रथाह ज्ञान के भण्डार हैं । परन्तु मध्यकालीन भारतीय विद्वानों और उनका ही अनुकरण करते हुए पाश्चात्य एवं प्राज के विद्वानों ने मिथ्या वारणाओं के कारण अथवा स्वार्थतश वेदों के अशुद्ध ग्रथं किये हैं । परिणामस्वरूप वेदों पर से लोगों की आस्था समाप्त होने लग गई है । विज्ञ लेखक ने वेदों में ‘ सोम ‘ शब्द पर , जिसके विषय में भी काफी प्रम फैला हुआ है , प्रकाश डालने का प्रयास किया है । हमें विश्वास है कि इस पुस्तक के अध्ययन से पाठकों को वेदों के विषय में और अधिक जानने की उत्कण्ठा उत्पन्न होगी एवं प्रेरणा भी मिलेगी ।
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वैद्य गुरुदत्त, एक विज्ञान के छात्र और पेशे से वैद्य होने के बाद भी उन्होंने बीसवीं शताब्दी के एक सिद्धहस्त लेखक के रूप में अपना नाम कमाया। उन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित्र आदि लिखे थे। उनकी रचनाएं भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियों से भी भरी हुई थीं।
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