वेद ज्ञान – विज्ञान व अध्यात्म की अजस्त्रधारा है । जो जितने गहरे पैठकर इस महोदधि में खोज करता है उसे उतने ही मूल्यवान मोती प्राप्त हो जाते हैं । जीवन में दुःख भी हैं और सुख भी , कष्ट भी हैं और आनन्द भी । दुःख और कष्टों की पीड़ा को बाँटने का एकमात्र साधन प्रार्थना है । प्रस्तुत ग्रन्थ में ३६५ दिनों के लिए पृथक् – पृथक् प्रार्थनाएँ हैं । स्वाध्याय के लिए खोजपूर्ण मन्त्र हैं । आत्मचिन्तन की प्रेरक सामग्री है और है जीवन को नयी शक्ति देने के लिए भक्ति का अमृत प्यार के गीत और समर्पण के भाव मुग्ध होकर जीवन को जीवन देते हैं । ज्ञान का संगीत जब गूँजता है तब उभरती है प्राणों की असीम शक्ति , सशक्त बन्दना के स्वरों में । ‘ वैदिक – विनय ‘ नामक यह ग्रन्थ हमने स्वाध्यायशील पाठकों को अर्पित किया है । स्वाध्यायशील जनों की माँग पर हम इसे नये ढङ्ग से प्रस्तुत कर रहे हैं । पूर्व प्रकाशक गुरुकुल काङ्गड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के भी इस सामग्री के लिए हम आभारी हैं । इच्छा बस इतनी है कि ज्ञान की गङ्गा अध्यात्म के स्वर गुंजाती रहे । जीवन सर्वत्र विस्तारित हो और प्राणों को मिले ऐसा उद्भव , जिसमें आनन्द हो , शान्ति हो , प्यार हो और सबके कल्याण की भावना सर्वत्र व्यास हो । आशीर्वाद और मङ्गलकामनाओं से , प्रभु का यह प्रसाद प्रभु भक्तों की श्रीसेवा में अर्पित है ।
-प्रकाशक
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