पुस्तक का नाम – वैदिक विचारधारा का वैज्ञानिक आधार
लेखक – डॉ.सत्यव्रत सिद्धान्तालन्कार
आज का व्यक्ति आँख बंदकर किसी बात को मानने को तैयार नही हैं। वो हर बात को विज्ञान की कसौटी पर कसकर परखना चाहता हैं, क्योंकि खरे-खोटे का सर्वोत्कृष्ट आधार वो विज्ञान को मानता है। धर्म-सम्मत, शास्त्र-सम्मत तथा तर्क-सम्मत से अधिक वह आधुनिक विज्ञान-सम्मत होने में विश्वास करता है।
निस्संदेह, यह स्वस्थ दृष्टिकोण है, स्वस्थ परम्परा है, हालांकि स्वयम् विज्ञान भी यह दावे से नहीं कह सकता है कि उसकी उपलब्धियाँ चिर नूतन हैं या उसकी स्थापनाएँ अंतिम हैं, जो विज्ञान स्वयम् अभी कसौटी पर है वो दुसरों के लिए क्या कसौटी होगा? तथापि इस विचारधारा को भी सम्मान देना होगा कि कोई विचारधारा तब तक सर्वमान्य नहीं जब तक विज्ञान सम्मत न हो।
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