“वैदिक गृहस्थाश्रम” पुस्तक स्वाध्याय – प्रेमियों के संमुख उपस्थित की जाती है । इस में गृहस्थ जीवन के अत्यन्त उपयोगी मन्त्रों की विस्तृत व्याख्या की गई है । इस पुस्तक में १ से १८१ पृष्ठों तक अथर्ववेद के दो सूर्यासूक्तों की व्याख्या की गई है । १ तत्पश्चात् १८२ से २३७ पृष्ठों तक गृहस्थ – जीवन के निर्माण के साथ सम्बद्ध विषयों का वर्णन किया है । अन्त में २३ ९ से ३०७ पृष्ठों तक गृहस्थाश्रम – परिशिष्ट के रूप में , अथर्ववेद में इतस्तत : वर्णित गृहस्थाश्रम के कतिपय तत्त्वों की व्याख्या की है ।
मैं आशा करता हूं कि स्वाध्यायशील व्यक्ति पुस्तक के उपयोगी तत्त्वों पर मनन करेंगे
प्रोफेसर विश्वनाथ विद्यालङ्कार
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