प्राक्कथन
वेद आर्यजाति के प्राण हैं । ये मानवमात्र के लिए प्रकाश – स्तम्भ हैं । विश्व को संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है । वेद ही विश्व वन्धुत्व , विश्व कल्याण और विश्व शान्ति के प्रथम उद्घोषक हैं । वेदों से ही आर्य – संस्कृति का विकास हुआ है , जो विश्व को धर्म , ज्ञान , विज्ञान , आचार – विचार और सुख – शान्ति की शिक्षा देकर उसकी समुन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है ।
वेदों के विषय में मनु महाराज का यह कथन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि ‘ सर्वज्ञानमयो हि सः ‘ ( मनु ० २.७ ) अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं के सूत्र विद्यमान हैं । वेदों में जहाँ धर्म , विज्ञान , दर्शन , आचारशास्त्र , आयुर्वेद , दर्शन और समाजशास्त्र आदि से संबद्ध सामग्री पर्याप्त मात्रा में प्राप्य है , वहीं वैदिक देवों से संबद्ध सामग्री भी सैकड़ों मन्त्रों में प्राप्य है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ ‘ वेदामृतम् – ग्रन्थमाला ‘ का अन्तिम पुष्प है । आज से २६ वर्ष पूर्व जो ‘ वेदामृतम् – ग्रन्थमाला ‘ के ४० भागों के प्रकाशन का संकल्प लिया गया था , आज वह परमात्मा की कृपा से पूर्ण हो रहा है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ दो भागों में विभक्त है : – १. वैदिक देवों का आध्यात्मिक स्वरूप और २. वैदिक देवों का वैज्ञानिक स्वरूप प्रथम भाग में विभिन्न देवों के ‘ आध्यात्मिक स्वरूप ‘ का प्रतिपादन किया गया है । विभिन्न देवों से संबद्ध मंत्रों में उनके आध्यात्मिक स्वरूप का संकेत करने वाले पद हैं । देवों की आध्यात्मिक व्याख्या के लिए ब्राह्मणग्रन्थों और निरुक्त आदि का भी सहयोग लिया गया है । व्याख्या के लिए प्राप्त सन्दर्भों का भी यथास्थान पूर्ण निर्देश किया गया है ।
द्वितीय भाग में देवों के ‘ वैज्ञानिक स्वरूप ‘ का विवेचन किया गया है । वैज्ञानिक विवेचन में ध्यान रखा गया कि संबद्ध मंत्रों में विज्ञान सम्बन्धी तथ्यों का सूत्ररूप में अवश्य उल्लेख हो । कोई भी बात केवल कल्पना – मूलक न हो ।
वेदों में देवों के विषय में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सामग्री बहुत विखरी हुई है । मैंने प्रयत्न किया है कि उस समस्त सामग्री को क्रमबद्ध रूप में एकत्र करके प्रस्तुत किया जाए । साथ ही यह भी प्रयत्न रहा है कि विषय से संबद्ध कोई महत्त्वपूर्ण सूत्र छूटने न पावे ।
मैंने प्रयत्न किया है कि देवों के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्वरूप के प्रतिपादन जैसे गूढ़ विषय को अत्यन्त सरल और सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया जाय । सभी आवश्यक सन्दर्भ पूर्ण विवरण के साथ वहीं दिए गए हैं । उपयोगिता की दृष्टि से ग्रन्थ के अन्त में विस्तृत निर्देशिका ( Index ) भी दी गई है ।
प्रो ० डॉ ० विनयमोहन सहाय श्रीवास्तव , पूर्व विभागाध्यक्ष , जीव – विज्ञान , काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , ज्ञानपुर ( भदोही ) ने ग्रन्थ के विज्ञान – संबन्धी सभी सन्दर्भों को सावधानी से चेक किया है । तदर्थ वे धन्यवाद के पात्र हैं ।
आशा है प्रस्तुत ग्रन्थ वेदप्रेमी पाठकों एवं प्रबुद्धजनों को रुचिकर होगा । ग्रन्थ के विषय में आवश्यक संशोधन आदि के परामर्श सधन्यवाद स्वीकार किए जायंगे ।
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