वेद और वेदार्थ
Ved aur Vedarth

400.00

AUTHOR: Dr. Jwalantakumar Shastri (डॉ. ज्वलन्तकुमार शास्त्री)
SUBJECT: Rishi Dayanand Aur Arya Samaj | ऋषि दयानन्द और आर्य समाज (2 भागों में)
CATEGORY: Vedas
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2009
PAGES: 446
PACKING: Hard Cover
WEIGHT: 900 GRMS
Description

डॉ० ज्वलन्तकुमार ने अपनी वाग्मिता के कारण आर्यजगत् में मान्य स्थान प्राप्त कर लिया है। आर्य पत्र- पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वेद आपका प्रिय विषय रहा है, इसीलिए आपने भट्टगोविन्द- रचित श्रुति विकास नामक (ऋग्वेद- अष्टमाष्टक भाष्य) ग्रन्थ के सम्पादन और समीक्षा को अपने शोध का विषय बनाया था। समालोच्य ग्रन्थ प्रधानतः आपके शोधप्रबन्ध और पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों पर आधृत है। तीन खण्डों में विभक्त यह ग्रन्थ वेद- विषयक अत्यन्त ठोस सामग्री प्रस्तुत करता है।

वेद और वेदार्थ नामक प्रथम खण्ड के आठ परिच्छेदों के माध्यम से ग्रन्थकार ने वेदों के महत्त्व, संख्या, शाखा, स्वरूप, रक्षोपाय, विविध भाष्यशैली एवं भाष्यकारों का विशद तथा प्राञ्जल विवरण दिया है।

वैदिक जीवनदर्शन (द्वितीय खण्ड) में विद्वान् लेखक ने वैदिक जीवन की तेजस्विता, नैतिकता, दार्शनिक अवधारणाओं और सदाचार-सिद्धान्तों को निदर्शनपूर्वक प्रस्तुत किया है।

तृतीय खण्ड- वेदविमर्श- में लेखक के सामयिक लेख एवं निबन्ध संगृहीत हैं।

प्रस्तुत ग्रन्थ जहाँ एक ओर शोध-प्रधान विद्वानों के सामने गहन वैदिक सामग्री तर्कपूर्ण भाषा में प्रतिस्थापित करता है, वहाँ दूसरी ओर साधारण स्वाध्यायशील आर्यजनों के सामने वैदिक मान्यताओं और दार्शनिक अवधारणाओं का सुरुचिपूर्ण समन्वय उपस्थित करता है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण समाज के सभी वर्गों में आदूत होगा, ऐसी आशा है। इस अति महत्त्वपूर्ण कृति के लिए रचनाकार को बधाई ।

(‘वेदवाणी’, जुलाई, १९९३ ई०)
– विपाश

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