प्रस्तुत ग्रन्थ में आयुर्वेद साहित्य में उपलब्ध स्वस्थवृत्त विषयक सम्पूर्ण सामग्री को केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद् द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रमानुसार सुव्यवस्थित करके विकसित किया गया है । यथावश्यकता आधुनिक स्वस्थवृत्त सम्बन्धी ज्ञान को भी अपनाया गया है ताकि पुस्तक अपने आप में पूर्ण हो। साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास तथा निसर्गोपचार विधियों का विवरण भी उपस्थित किया गया है।
महत्त्वपूर्ण उद्धरण फुटनोट के रूप में प्रत्येक पृष्ठ पर दिये गये हैं ताकि पुस्तक विषय-प्रधान होते हुए भी पारम्परिक तथा शास्त्रीय ज्ञान के स्रोत से आबद्ध रहे।
सम्पूर्ण पुस्तक को चार खण्डों में प्रस्तुत किया गया है—
1. वैयक्तिक स्वस्थवृत्त (Personal Hygiene)
2. सामाजिक स्वस्थवृत्त (Social Hygiene & Public Health)
3. योग एवं स्वास्थ्य (Yoga for Health)
4. निसर्गोपचार (Nature Cure) एवं नैसर्गिक स्वस्थवृत्त ।
प्रत्येक खण्ड में पाठ्यक्रमानुसार प्रत्येक विषय पर स्वतंत्र अध्याय लिखे गये हैं और पाठ्यक्रम में उल्लिखित प्रत्येक शीर्षक पर यथावश्यक लेखन प्रस्तुत किया गया है। कहीं-कहीं पुस्तक को मौलिक स्वरूप प्रदान करने की दृष्टि से पाठ्यक्रम में अव्यवस्थित रूप से उल्लिखित विषयों को कुछ व्यवस्थित करने का प्रयास किया गया है। कुछ महत्त्वपूर्ण विषय जो पाठ्यक्रम में नहीं भी उल्लिखित है, उन्हें भी इस पुस्तक में समाविष्ट कर लिया गया है।
ऐसा उन-उन विषयों के महत्त्व को दृष्टिगत रखते हैं। हुए पुस्तक को सर्वांगपूर्ण बनाने की दृष्टि से किया गया है।
विषय को सरल एवं बोधगम्य बनाने के लिए अधिकाधिक तालिकाएँ तथा रेखा चित्र दिये गये हैं। प्रस्तुत पुस्तक अभी तक उपलब्ध इस विषय से सम्बन्धित पुस्तकों की तुलना में अधिक परिपूर्ण है तथा अधिक सामग्री प्रस्तुत करती है और केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली के पाठ्यक्रमानुसार लिखी जाने वाली पहली पुस्तक है। आशा है यह ग्रन्थ हमारे नवयुवक पाठकों की आवश्यकता की पूर्ति करेगी और एक अच्छी पाठ्यपुस्तक सिद्ध होगी।
प्रो० रामहर्ष सिंह
Reviews
There are no reviews yet.