श्रौतयज्ञों का संक्षिप्त परिचय
अग्निहोत्र से लेकर अश्वमेध पर्यन्त
लेखक ने श्रौत सूत्रों में वर्णित प्रमुख यज्ञों की विभिन्न क्रियाओं का निरूपण किया है । यद्यपि श्रौत ग्रन्थों में निरूढ पशुबन्ध , प्रायश्चित्त आदि का प्रतिपादन भी किया गया है , तथापि उसे सामान्य पाठकों को दृष्टि से अनावश्यक समझ कर छोड़ दिया गया है ।
शेष श्रौत विधियों का साङ्गोपाङ्ग निरूपण करने वाली हिन्दी भाषा की यह पहली पुस्तक है । वैदिक कर्मकाण्ड के जिज्ञासु छात्रों और अनुसन्धाताओं की सुविधा के लिए पुस्तक के अन्त में श्रौत – सम्बन्धी विशिष्ट पारिभाषिक शब्दों की सूची , यज्ञशाला आदि तथा पात्रों के चित्र भी जोड़ दिये गये हैं ।
इस प्रकार इस पुस्तक को हिन्दी में लिखा गया श्रौत – कोश कहा जा सकता है ।
इस पुस्तक में वर्णित अनेक श्रौत – यज्ञों के अनुष्ठानों का प्रत्यक्षीकरण और श्रौतसूत्रों का अनुशीलन करके पुस्तक का प्रणयन किया गया है । हमारा विश्वास है इस पुस्तक से श्रौत यज्ञों का स्वरूप हृदयङ्गम किया जा सकता है ।
प्राचीन कर्मकाण्ड को जानने के इच्छुक छात्रों और अनुसन्धाताओं के लिए यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है । वेद के अङ्गों , उपाङ्गों , ब्राह्मणग्रन्थों और संहिता ग्रन्थों को समझने के लिए वैदिक कर्मकाण्ड का ज्ञान परम आवश्यक है । आज भी इसकी परम्परा दक्षिण भारत में सुरक्षित है । अतः हमारा अनुरोध है कि पाठक इन विधियों का साक्षात्कार करने का प्रयास करें ।
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