सन्ध्यापद्धतिमीमांसा
Sandhya Paddhati Mimansa

150.00

AUTHOR: Acharya Vishvashravah (आचार्य विश्वश्रवाः)
SUBJECT: सन्ध्यापद्धतिमीमांसा | Sandhya Paddhati Mimansa
CATEGORY: Karmakand
PAGES: 342
EDITION: 2018
LANGUAGE: Hindi
BINDING: Hard Cover
WEIGHT: 495 g.
Description

दो शब्द

यज्ञ वैदिक संस्कृति के प्राण हैं। यज्ञों के बिना वैदिक-संस्कृति अधूरी है। आपत्ति और कष्टों में भी पञ्चमहायज्ञों के करने का विधान है। यजुर्वेद कर्मकाण्ड का वेद है। यजुर्वेद के आरम्भ के तीन अध्यायों में महायज्ञों का वर्णन है। सभी स्मृतियों में भी पञ्चमहायज्ञों का उल्लेख है। महर्षि दयानन्द ने भी सर्वप्रथम पञ्चमहायज्ञ विधि का प्रणयन किया था।

महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रणीत सन्ध्यापद्धति अपूर्व है। इसकी व्याख्या अनेक विद्वानों ने की है, परन्तु उन्होंने अपने-अपने अर्थ किये हैं। महर्षि दयानन्द के अनन्य भक्त आचार्य विश्वश्रवाजी ने महर्षि दयानन्द के अर्थों की जो व्याख्या की है, यह बेजोड़ है। महर्षि के हृदय को समझकर यह व्याख्या की गई है। अनूठी, रसभरी और हृदयहारी व्याख्या है। पाठक पढ़ें, सन्ध्या का महत्त्व और गौरव उनके हृदयङ्गम हो जाएगा। सन्ध्या करने में विशेष आनन्द प्राप्त होगा। स

यह पुस्तक बहुत समय से अप्राप्य थी। इसकी महत्ता को देखकर इसे पुनः प्रकाशित किया जा रहा है। श्री प्रभाकरदेव आर्य, हिण्डौन धन्यवाद के पात्र हैं, जो इसे प्रकाशित करा रहे है। स्वयं पढ़िए और दूसरों को पढ़ने के लिए प्रेरित कीजिए।

विदुषामनुचरः
जगदीश्वरानन्द

Additional information
Weight 495 g
Author

Language

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “सन्ध्यापद्धतिमीमांसा
Sandhya Paddhati Mimansa”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shipping & Delivery