प्राक्कथन
जैसे जैसे प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ता गया , इस सत्य की प्रमुखता बढ़ती गयी । तकनीकी तथा प्रबंधन कार्य से सेवा निवृत्ति के बाद वेदाध्ययन की ओर आगे बढ़ा तथा विचार को मूर्त रूप पाया । इस पुस्तक में एक चिन्तन प्रस्तुत किया गया है जिसमें ऋग्वेद के पहले ही सूक्त ( ऋग्वेद 1.1.1 से 1.1.9 पर्यन्त 9 मन्त्र ) में आधुनिक प्रबंधन के संपूर्ण आयाम विद्यमान हैं ।
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