ऋग्वेद के प्रथम सूक्त में आधुनिक प्रबन्धन (एक चिन्तन)
Rigveda ke Pratham Sukt Mein Aadhunik Prabandhan (Ek Chintan)

500.00

ITEM CODE: AZD264
AUTHOR: SHIV PRAKASH AGGARWAL
PUBLISHER: ASTHA PRAKASHAN, DELHI
LANGUAGE: SANSKRIT, HINDI AND ENGLISH
EDITION: 2020
ISBN: 9789386081162
PAGES: 132
COVER: HARDCOVER
OTHER DETAILS 9 X 6 INCHES
WEIGHT 340 GM

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Description

प्राक्कथन

 

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरान्त अपने तकनीकी तथा प्रबंधन कार्य का प्रारम्भ करने पर वेदों के आंशिक ज्ञान से ऐसा प्रतीत हुआ कि वेदों में जीवन शैली , सामाजिक तन्त्र , राष्ट्रीय प्रबंधन , सृष्टि उत्पत्ति , वैज्ञानिक ज्ञान व प्रबंधन ज्ञान भरा पड़ा है ।

जैसे जैसे प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ता गया , इस सत्य की प्रमुखता बढ़ती गयी । तकनीकी तथा प्रबंधन कार्य से सेवा निवृत्ति के बाद वेदाध्ययन की ओर आगे बढ़ा तथा विचार को मूर्त रूप पाया । इस पुस्तक में एक चिन्तन प्रस्तुत किया गया है जिसमें ऋग्वेद के पहले ही सूक्त ( ऋग्वेद 1.1.1 से 1.1.9 पर्यन्त 9 मन्त्र ) में आधुनिक प्रबंधन के संपूर्ण आयाम विद्यमान हैं ।

चारों वेदों में प्राचीनतम वेद ऋग्वेद है , वहीं आधुनिक प्रबंधन युग लगभग 200 वर्ष आधुनिक उद्योगीकरण से प्रारम्भ होकर अमेरिका , यूरोप , जापान , चीन तथा भारत आदि देशों में विकिसित हुआ ।

इस पुस्तक को 10 अध्यायों में विभक्त किया गया है ।

भूमिका नामक प्रथम अध्याय में वेदों की उत्पत्ति , वेदों का ज्ञान , काल , देवता , ऋषि , छन्द आदि विषयों का संक्षिप्त परिचय देते हुए वेद भाष्य एवं भाष्यकारों की पद्धति व विचारों पर चर्चा की है ।

पुस्तक के विषय के संदर्भ में वैदिक ज्ञान व आधुनिक प्रबंधन के बीच संबन्ध स्थापित करने पर चिन्तन प्रस्तुत किया है ।

अध्याय 2 से अध्याय 10 पर्यन्त ऋग्वेद के प्रथम सूक्त के 9 मन्त्रों ( ऋग्वेद 1.1.1 से 1.1.9 पर्यन्त ) को अध्यायशः लिया गया है ।

प्रत्येक अध्याय में एक मन्त्र के भाष्य को लिया है । उसके पदों की व्याख्या को विषय के अनुरूप लेते हुए पदों व मन्त्र की नये रूप में व्यञ्जनात्मक व्याख्या की गयी है ।

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About Dr. Shiv Prakash Aggarwal
डा० (इंजी०) शिव प्रकाश अग्रवाल जन्म-11 जुलाई सन् 1952 जन्म स्थान-इटावा, उ०प्र० प्रारम्भिक शिक्षा-इटावा तकनीकी शिक्षा-आई० आई० टी०, रुड़की से B.E.-Electrical सेवा-भारत हेबी इलैक्टिकल लिमिटेड, हरिद्वार में इंजीनियर, प्रबन्धक तथा महा प्रबन्धक आदि पदों पर वैदिक शिक्षा-सेवानिवृत्ति के बाद गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से वैदिक साहित्य में एम०ए० तथा पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त की। रुचि-वेदों के विषय में स्वामी दयानन्द जी के विचारानुसार वैदिक ज्ञान के नये वैज्ञानिक आयामों में व्यञ्जनात्मक व्याख्या करना रुचि है।
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