प्रारंभिक रचनानुवाद कौमुदी Prarambhik Rachnanuvad Kaumudi
₹75.00
AUTHOR: | Dr. Kapildev Dvivedi – डॉ. कपिलदेव द्विवेदी |
SUBJECT: | Sanskrit Learning – Prarambhik Rachnanuvad Kaumudi |
CATEGORY: | Sanskrit Grammer |
LANGUAGE: | Sanskrit – Hindi |
EDITION: | 2023 |
PAGES: | 152 |
PACKING: | Paper Back |
WEIGHT: | 105 GRMS |
आत्म-निवेदन
(१) पुस्तक-लेखन का उद्देश्य:-
यह पुस्तक संस्कृत के प्रारम्भिक छात्रों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रस्तुत की गयी है किस प्रकार कोई भी विद्यार्थी २ या ३ मास में निर्भीक होकर सरल और शुद्ध संस्कृत लिख तथा बोल सकता है, इसका ही प्रकार उपस्थित किया गया है। ‘संस्कृत भाषा क्लिष्ट भाषा है’, इस लोकापवाद का खंडन करना मुख्य उद्देश्य है। संस्कृत के प्रारम्भिक छात्रों के लिए जितने व्याकरण का ज्ञान अत्यावश्यक है, उतना ही अंश इसमें दिया गया है। अनावश्यक सभी विवरण छोड़ दिया गया है। समस्त व्याकरण अनुवाद के द्वारा सिखाया गया है। रटने की क्रिया को न्यूनतम किया गया है।
(२) पुस्तक की शैली :-
पुस्तक कुछ नवीनतम विशेषताओं के साथ प्रस्तुत की गयी है। हिन्दी, संस्कृत तथा इंग्लिश में अभी तक इस पद्धति से लिखी गयी अन्य कोई पुस्तक नहीं है। जर्मन और फ्रेंच भाषा में इस पद्धति पर लिखी गयी कुछ पुस्तकें हैं, जिनके द्वारा सरल रूप में जर्मन आदि भाषाएँ सीखो जा सकती हैं। इंग्लिश तथा रूसी भाषा में भी वैज्ञानिक पद्धति से नवीन भाषा सिखाने के लिए अनेक पुस्तकें हैं। इन भाषाओं में भाषा शिक्षण की जो नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति अपनायी गयी है. उसको ही इस पुस्तक में भी आधार माना गया है।
(३) अभ्यास और शब्दकोष :-
इस पुस्तक में केवल ३० अभ्यास दिये गये हैं। प्रत्येक अभ्यास में २० नये शब्द हैं। इस प्रकार कुल ६०० अत्यावश्यक मौलिक (Basic) शब्दों का प्रयोग विशेष रूप से सिखाया गया है। शब्दकोश के शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से है-
(क) अर्थात् संज्ञा या सर्वनाम शब्द ३४९
(ख) अर्थात् धातु या क्रिया शब्द १२२
(ग) अर्थात् अव्यय शब्द ८०
(घ) अर्थात् विशेषण शब्द ४९
पठित एवं अभ्यस्त शब्दों का योग ६०० (शब्दयोग)
(४) विद्यार्थियों से
(१) संस्कृत भाषा को अति सरल, सुबोध और सुगम बनाने के लिए यह पुस्तक प्रस्तुत की गयी है। प्रयत्न किया गया है कि छात्रों की प्रत्येक कठिनाई को दूर किया जाय। अतएव सरलतम भाषा का प्रयोग किया गया है।
(२) पुस्तक में केवल ३० अभ्यास हैं। प्रत्येक में केवल २० नये शब्दों का अभ्यास कराया गया है। कोई भी प्रारम्भिक छात्र एक या दो घंटा प्रतिदिन समय देने पर दो दिन में १ अभ्यास पूरा कर सकता है। इस प्रकार दो मास में यह पुस्तक समाप्त हो सकती है। केवल ८० नियमों में सब आवश्यक नियम दे दिये गये हैं।
(३) संस्कृत भाषा के प्रारम्भिक ज्ञान के लिए जितने शब्दों, धातुओं और नियमों के जानने की आवश्यकता है, वे सभी इस पुस्तक में हैं। इस पुस्तक का ठीक अभ्यास हो जाने पर छात्र निःसंकोच सरल एवं शुद्ध संस्कृत लिख और बोल सकता है।
(४) प्रारम्भिक छात्रों के लिए उपयोगी सम्पूर्ण व्याकरण इस पुस्तक के अन्त में दिया हुआ है। शब्दों के रूप, धातु-रूप, संख्याएँ, १८ मुख्य सन्धियों के नियम, १० मुख्य प्रत्ययों से बने हुए धातुओं के रूप परिशिष्ट में हैं।
(५) प्रत्येक अभ्यास में कुछ विशेष शब्दों और नियमों का अभ्यास कराया गया है। उनको प्रारम्भ से ही ठीक स्मरण करना चाहिए। विशेष सफलता के लिए प्रत्येक अभ्यास के अन्त में दिये हुए अभ्यास-प्रश्नों को भी करना चाहिए।
कपिलदेव द्विवेदी
अष्टादश संस्करण की भूमिका
संस्कृत-प्रेमी अध्यापकों, विद्यार्थियों और जनता ने इस पुस्तक का हार्दिक स्वागत किया है, तदर्थ उनका अत्यन्त कृतज्ञ हूँ। पिछले संस्करणों में छपाई सम्बन्धी या अन्य जो त्रुटियाँ रह गयी थीं, उनका इस संस्करण में निराकरण कर दिया गया है। प्रस्तुत संस्करण प्रथम सत्रह संस्करणों का संशोधित रूप है। अनुवादार्थ गद्य-संग्रह, आवश्यक संकेत, हाईस्कूल के लिए उपयोगी शब्दरूप धातुरूप और २० संस्कृत निबन्ध आदि बढ़ाये गये हैं। आशा है प्रस्तुत संस्करण विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
कपिलदेव द्विवेदी
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