पाणिनीय अष्टाध्यायीसूत्रपाठ:
Paniniya Ashtadhyayi Sutrapath

100.00

AUTHOR: Swami Ramdev (स्वामी रामदेव)
SUBJECT: Paniniya Ashtadhyayi Sutrapath | पाणिनीय अष्टाध्यायीसूत्रपाठ:
CATEGORY: Sanskrit Grammer
LANGUAGE: Sanskrit
EDITION: 2024
PAGES: 114
PACKING: Paperback
WEIGHT: 150 GRMS
Description

संस्कृत भाषा के अध्ययन के बिना भारत की संस्कृति, परम्परा, इतिहास एवं प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को समझना सम्भव नहीं है। अतः भारतीय स्वाभिमान की भावना वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्राचीन अमूल्य ज्ञान-निधान को पाने के लिए संस्कृत भाषा का अभ्यास करना अनिवार्य है। इस भाषा के प्रौढ एवं व्यापक ज्ञान के लिए व्याकरण का अध्ययन भी आवश्यक है।

पतञ्जलि योगपीठ हरिद्वार में प्राचीन आर्ष परम्परा के अनुसार प्रामाणिक आचार्यों द्वारा पाणिनीय व्याकरण का अध्ययन-अध्यापन विगत लम्बे समय से करवाया जा रहा है। यहाँ व्याकरणज्ञान के लिए पाणिनीय शिक्षा के साथ अष्टाध्यायी, प्रथमावृत्ति, काशिकावृत्ति, धातुवृत्ति एवं महाभाष्य के अध्ययन की उत्तम व्यवस्था की गई है। आर्ष ग्रन्थों के अध्ययन से अल्प समय में सरलता पूर्वक उत्तम बोध होता है, जैसा कि महर्षि दयानन्द कहते हैं-

‘महर्षि लोगों का आशय, जहाँ तक हो सके वहाँ तक सुगम और जिस के ग्रहण में समय थोड़ा लगे इस प्रकार का होता है और क्षुद्राशय लोगों की मनसा ऐसी होती है कि जहाँ तक बने वहाँ तक कठिन रचना करनी। जिसको बड़े परिश्रम से पढ़ के अल्प लाभ उठा सकें, जैसे पहाड़ का खोदना कौड़ी का लाभ होना और आर्ष ग्रन्थों का पढ़ना ऐसा है कि जैसा एक गोता लगाना बहुमूल्य मोतियों का पाना’।

व्याकरणाध्ययन की इस ऋषिनिर्दिष्ट प्राचीन सरणि के अनुसार पहले विद्यार्थियों को शिक्षा, अष्टाध्यायी एवं धातुपाठ आदि ग्रन्थों को कण्ठस्थ करवाया जाता है। छात्रों के उपयोगार्थ ग्रन्थों के उत्तम संस्करण भी पतञ्जलि योगपीठ द्वारा प्रकाशित किये जा रहे हैं। अष्टाध्यायी एवं धातुपाठ का प्रकाशन इसी श्रृंखला की कड़ी के रूप में किया गया है। मेरी शुभकामना है कि छात्रगण श्रद्धा से इन ग्रन्थों का अध्ययन कर प्रौढ वैदुष्य प्राप्त करें एवं प्राचीन भारतीय विद्याओं का संरक्षण व प्रचार-प्रसार सदा करते रहें।

शुभेच्छु
आचार्य बालकृष्ण

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