न्याय दर्शन गुरुदत्त
Nyay Darshan Gurudutt

300.00

AUTHOR: Gurudutt
SUBJECT: न्याय दर्शन गुरुदत्त | Nyay Darshan Gurudutt
CATEGORY: Darshan
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2019
PAGES: 430
BINDING: Paper Back
WEIGHT: 537 GRAMS

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Description
न्याय दर्शन एक आध्यात्मिक पुस्तक है। इसको गौतम ऋषि जी ने लिखा है | यह एक प्राचीन ग्रन्थ है |
इस पुस्तक में कुछ सिंद्धांत दिए है जिस के आधार पर कोई भी न्याय करना सिख सकता है | यही आधार प्रमाण कहलाते है |
यही प्रमाण तर्कशक्ति के आधार पर समझे व समझाये भी जा सकते है |
 न्यायदर्शन में १६ पदार्थ माने गये हैं-
  • १. प्रमाण – ये मुख्य चार हैं – प्रत्यक्ष , अनुमान , उपमान एवं शब्द।
  • २. प्रमेय – ये बारह हैं – आत्मा, शरीर, इन्द्रियाँ, अर्थ , बुद्धि / ज्ञान / उपलब्धि , मन, प्रवृत्ति , दोष, प्रेतभाव , फल, दुःख और उपवर्ग।
  • ३. संशय
  • ४. प्रयोजन
  • ५. दृष्टान्त
  • ६. सिद्धान्त – चार प्रकार के है : सर्वतन्त्र सिद्धान्त , प्रतितन्त्र सिद्धान्त, अधिकरण सिद्धान्त और अभुपगम सिद्धान्त।
  • ७. अवयव
  • ८. तर्क
  • ९. निर्णय
  • १० वाद
  • ११ जल्प
  • १२ वितण्डता
  • १३. हेत्वाभास – ये पांच प्रकार के होते हैं : सव्यभिचार, विरुद्ध, प्रकरणसम, साध्यसम और कालातीत।
  • १४. छल – वाक् छल , सामान्य छल और उपचार छल।
  • १५. जाति
  • १६. निग्रहस्थान
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वैद्य गुरुदत्त, एक विज्ञान के छात्र और पेशे से वैद्य होने के बाद भी उन्होंने बीसवीं शताब्दी के एक सिद्धहस्त लेखक के रूप में अपना नाम कमाया। उन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित्र आदि लिखे थे। उनकी रचनाएं भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियों से भी भरी हुई थीं।
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