मुद्रा चिकित्सा विज्ञान
Mudra Chikitsa Vigyaan

250.00

AUTHOR: Dr. Ambikadutt Shastri, Dr. Gayatri Gurvendra
SUBJECT: Mudra Chikitsa Vigyaan
CATEGORY: Yoga Books
LANGUAGE: HINDI
EDITION: 2021
ISBN: 978-93-5437-490-6
PAGES: 104
COVER: PAPERBACK
WEIGHT 140 GM

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Description

प्राक्कथन

‘मुद्रा विज्ञान’ परासाधना हठयोग तथा योगतत्त्वविज्ञान का महत्त्वपूर्ण अंग है। हमारे प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों ने मुद्रा चिकित्सा विज्ञान की खोज की। जिसकी विधियाँ जीवन के प्राण प्रवाह को सम्वर्द्धित, नियन्त्रित व नियोजित कर आरोग्य प्रदान करती है। मुद्रा चिकित्सा शरीर को ही नहीं, मन को भी पुष्ट करती है। यह भावनाओं के परिष्कार व विकास में भी सहायक है।

मुद्राओं का नियमित अभ्यास करने वाला व्यक्ति स्वयं के सूक्ष्म प्राण का संरक्षण व संवर्द्धन करने के साथ-साथ इस ब्रह्माण्ड में प्रवाहित एवं संव्याप्त अतिसूक्ष्म प्राणतत्त्व व प्राण ऊर्जा का संदोहन कर उसका स्वयं के अन्दर इच्छित दिशा में संवर्द्धन करने में सक्षम होता है।

प्रत्येक मुद्रा अपनी विशेष आकृति के कारण सूक्ष्मप्राण का संवर्द्धन व संदोहन करती है। अर्थात् इसके द्वारा उत्पन्न शरीरगत प्रभाव सीधे हमारे मन को प्रभावित करते हैं। मन में चल रही निरन्तर विभिन्न प्रकार की मानसिक प्रक्रियाओं का सम्बन्ध व्यक्ति के स्नायु संस्थान से होता है, अतएव ये मुद्राएँ प्राण के परिसंचालन व संवर्द्धन द्वारा स्नायु संस्थान को प्रभावित करने में समर्थ होती है।

योग मुद्राओं का नियमित अभ्यास मन को स्थिर, संतुलित व एकाग्र कर पञ्चतत्त्वों में उत्पन्न असंतुलन को भी साम्य करता है। जिसके द्वारा शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य व चेतना के विकास के साथ आनन्द की प्राप्ति होती चली जाती है। योग साधकों को समर्पित है यह ‘मुद्रा चिकित्सा विज्ञान’ पुस्तिका।

‘डॉ. गायत्री अमृत ‘गुर्वेन्द्र’

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