मर्म चिकित्सा विज्ञान Marma Chikitsa Vigyan
₹450.00
AUTHOR: | Dr. Sunil Kumar Joshi |
SUBJECT: | मर्म चिकित्सा विज्ञान | Marma Chikitsa Vigyan |
CATEGORY: | Marma Chikitsa |
Best Seller | Aarsh Sahitya |
LANGUAGE: | Hindi |
EDITION: | 2019 |
ISBN: | 81-89221-75-2 |
PAGES: | 255 |
पुस्तक परिचय
मल्लविद्या एवं युद्ध कला के रूप में हजारों वर्षों से प्रचलित विज्ञान की बारीकियों का सघन शोध के पश्चात् उपयोग , विभिन्न साध्य और असाध्य रोगों की चिकित्सा में अत्यन्त सहायक सिद्ध हुआ है । सन् 1991 से वैदिक चिकित्सा पद्धतियों की गुप्ततम पद्धति , मर्म चिकित्सा पर निरन्तर शोध से इस पद्धति के चिकित्सा विषयक पक्ष का प्रस्तुतिकरण सम्भव हुआ है । यह पुस्तक मर्म विज्ञान के इन्हीं आश्चर्यजनक वैज्ञानिक परिणामों का प्रतिफल कही जा सकती है । चिकित्सा जगत में अल्पज्ञात इस पारम्परिक वैदिक विज्ञान को वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत करना एक चुनौती भरा कार्य है । लाखों वर्ष से अस्तित्व में रहा यह अतुलनीय विज्ञान , प्रयोग में नहीं लाया जाने के कारण उपेक्षित एवं रहस्यमय रहा है । मर्मों की प्राणघातकता की अवधारणा ने इसे चिकित्सकों के लिए अछूत एवं अनबूझ पहेली बनाए रखा ।
वर्षों के निरंतर अध्ययन , चिंतन , शैक्षणिक एवं प्रायोगिक शोध ने मर्म चिकित्सा की उपादेयता को सिद्ध कर इसे पुनः प्रतिस्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया है । मर्म चिकित्सा विज्ञान के लेखन में यह सभी पक्ष आधार बने हैं ।
प्रस्तुत पुस्तक में न केवल मर्म विज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वर्णित वरन् आधुनिक चिकित्सा एवं अन्यान्य चिकित्सा पद्धतियों के परिपेक्ष्य में मर्म विज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण भी विस्तृत रूप से समाविष्ट है । अनेक सुखसाध्य , कृच्छ्रसाध्य और असाध्य रोगों में औषधि एवं शल्य चिकित्सा विहीन पद्धति के रूप में मर्म चिकित्सा शीघ्रता से अपना स्थान बनाती जा रही है । स्वास्थ्यसंवर्धन , रोगप्रतिरक्षण एवं शक्तिसंचयन के उपाय के रूप में भी मर्म विज्ञान अतुलनीय है । इसका विभिन्न धार्मिक कर्मकाण्डों और यौगिक क्रियाओं से अन्तः सम्बन्ध भी आश्चर्यचकित करने वाला है । यह पुस्तक विभिन्न पाठक वर्ग के लिए लिखी गयी है , जिसमें विधिक चिकित्सा उपाधि धारक चिकित्सक , पराचिकित्सकीय स्वास्थ्य परामर्शदाता , और अन्य पद्धतियों से उपचार करने वाले व्यक्ति सम्मिलित हैं ।
इनके अतिरिक्त चिकित्साशास्त्र के विद्यार्थी और प्रबुद्ध पाठक भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं ।
पुस्तक में वैदिक चिकित्सा विधाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ – साथ इनके प्रायोगिक पक्ष को प्रधानता दी गयी है , जिसके माध्यम से पाठक वर्ग को मनुष्य – शरीर में स्थित मर्म – बिन्दुओं में अन्तर्निहित स्वास्थ्य संरक्षण एवं संवर्धन तथा रोग – प्रतिरक्षण की असाधारण क्षमता का बोध हो सकेगा । इन पक्षों के माध्यम से पाठक इस मन्तव्य को भलीभांति समझने में सक्षम होगे कि रोग और कष्ट ही सत्य नहीं है , वरन् मानव शरीर में ईश्वर प्रदत्त सद्यः रोग निवारण क्षमता उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है । मानव के विकास के समय से ही इस शरीर में प्रवहमान सार्वभौमिक सत्ता की शक्ति को रोग – निवारण क्षमता के संदर्भ में मर्म – बिन्दुओं के उत्प्रेरण से तुरंत प्राप्त किया जा सकता है ।
प्राक्कथन में मानव मात्र को प्राप्त स्वास्थ्य – संरक्षण के उपाय के पुस्तक रूप में मर्म – तंत्र का उल्लेख दृढ़ता से किया गया है । मर्म चिकित्सा द्वारा मर्म – तंत्र का उद्दीपन / उत्प्रेरण कर अनेक रोगों में आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त किया जा सकता है । यह विज्ञान सभी चिकित्सा पद्धतियों के विद्यार्थियों एवं चिकित्सकों , पराचिकित्सकीय परामर्शदाताओं और सामान्य पाठक वर्ग के लिए समान रूप से रुचिकर और उपयोगी है । मर्म विज्ञान और मर्म चिकित्सा उन सभी के लिए भी लाभदायी है जो स्वरोग निवारण क्षमता का उपयोग अपने स्वास्थ्य – संरक्षण और लोक सेवा के लिए करना चाहते हैं ।
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