कुछ करो कुछ बनो
Kuch Karo Kuch Bano

40.00

AUTHOR: Swami Jagdishwaranand Sarswati
SUBJECT: Kuch Karo Kuch Bano
CATEGORY: Vedic Literature
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2021
PAGES: 128

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Description

भूमिका

आज भारत को ऐसे युवकों की आवश्यकता है- जिनके सीने में हों रोशन देश-भक्ति के चिराग़ । दिल तो दिल, दिल की तरह जिनके धड़कते हों दिमाग़ ॥

देश के युवक अपनी शक्ति को पहचानकर अपने जीवन का निर्माण करें । उत्तम उत्तम गुणों का धारण करके अपने जीवन को दिव्य और महान् बनायें। भौतिकवाद और नास्तिकता की चकाचौंध से बचकर अध्यात्मवादी और आस्तिक बनें।

देश के युवकों का चरित्र महान् हो—उनमें माता, पिता और गुरुओं के प्रति आदर हो, देश के लिए प्यार हो, कर्त्तव्यपालन और सेवा की भावना हो-युवकों में इन गुणों के विकास के लिए ही यह प्रयास है।

युवको ! सावधान ! जीवन व्यर्थ न चला जाये। कुछ करके दिखा दो, कुछ बन के दिखा दो। सदा स्मरण रखो- हँस के दुनिया में मरा कोई, कोई रोके मरा। मौत बस अच्छी उसकी है जो कुछ होके मरा । यदि इस पुस्तक से कुछ भी युवकों को प्रेरणा मिली तो मैं अपने परिश्रम को सार्थक समझँगा ।

-जगदीश्वरानन्द सरस्वती

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