हिंदुत्व
Hindutva

90.00

AUTHOR: Vinayak Damodar Savarkar (विनायक दामोदर सावरकर)
SUBJECT: Hindutva | हिंदुत्व
CATEGORY: History
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2021
ISBN: N/A
PAGES: 136
BINDING: Paper Back
WEIGHT: 140 g.
Description

‘हिन्दुत्व’ उस महापुरुष की अमर कृति हैं, जिसने वर्तमान युग में राष्ट्र हेतु सर्वस्व संमर्पण की परम्परा को गतिमान ही नहीं किया, अपितु जो अण्डमान की काल-कोठरियों में वर्षों तक स्वातन्त्र्य लक्ष्मी की आराधना में रत रहकर जीवित हुतात्मा ही बन गया था ।

यह विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखी गई एक प्रभावशाली और विवादास्पद पुस्तक है। इसे 1923 में प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक में सावरकर ने हिंदुत्व शब्द को परिभाषित करते हुए उसे केवल धार्मिक अवधारणा के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के रूप में प्रस्तुत किया।

पुस्तक का मुख्य उद्देश्य:
सावरकर ने इस पुस्तक में यह स्पष्ट किया कि हिंदुत्व केवल हिंदू धर्म से संबंधित नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों की सांस्कृतिक पहचान है जो भारत को अपनी पवित्र भूमि (पुण्यभूमि) और अपनी पूर्वजों की भूमि (पितृभूमि) मानते हैं।

उनके अनुसार, जो भी भारत को अपनी मातृभूमि और पुण्यभूमि मानता है, वह हिंदू है।

उन्होंने इस विचारधारा के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने का प्रयास किया।

हिंदुत्व की परिभाषा यह केवल धार्मिक पहचान तक सीमित नहीं है। इसमें संस्कृति, परंपरा, भाषा और राष्ट्र की अवधारणा को भी शामिल किया गया है।

पितृभूमि और पुण्यभूमि:
सावरकर के अनुसार, हिंदू वही है जो भारत को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि दोनों मानता है।

राष्ट्रीयता का सिद्धांत:
सावरकर का दृष्टिकोण हिंदू राष्ट्रवाद पर केंद्रित था। उन्होंने भारत को एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक इकाई के रूप में प्रस्तुत किया।

संस्कृति और भाषा:
उन्होंने संस्कृत और हिंदी भाषा को भारतीय संस्कृति की आधारशिला माना।

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