गीता योगामृत
Geeta Yogamrit

170.00

AUTHOR: Dr. Dharambir Yadav
SUBJECT: Important Geeta knowledge for students’ Syllabus
CATEGORY: Bhagwadgita
LANGUAGE: Hindi
EDITION: 2023
PAGES: 104
PACKING: Paper Back
WEIGHT: 257 GRMS

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Description

भूमिका

श्रीमद्भगवद्गीता के अमृत रूपी ज्ञान की गीता योगामृत पुस्तक द्वारा सरलीकरण के साथ प्रस्तुत करने के लिए डॉ. धर्मबीर यादव जी को बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूँ। ये सर्वविदित है कि गीता न केवल आध्यात्मिक बल्कि व्यक्तिगत और स्वामाजिक उन्नति का मार्ग प्रदान करवाने वाली पुस्तक  है।

आज तक सबसे अधिक भाषाओं में गीता का अनुवाद हुआ है। विश्व की लगभग प्रत्येक भाषा में इसको अनुवादित किया गया है। ऐसा इसलिए सम्भव हो पाया, क्योंकि गीता निर्विवाद है। ये सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण की बात करने वाला ग्रंथ है।

लेखक ने इस अनमोल ग्रंथ के सार को गीता योगामृत नामक पुस्तक के – रूप में प्रस्तुत करके पाठकों की राह को आसान कर दिया है। मैं स्वयं को भी भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे इस पुस्तक की भूमिका लिखने का सुअवस मिला है। पुस्तक में मुख्य रूप से चार अध्यायों में गीता के सार को प्रस्तुत करने का सुन्दर प्रयास गया किया है। पहले अध्याय की शुरुआत में गीता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की चर्चा की गई है।

इसके बाद महाभारत और गीता के आपसी सम्बन्ध को बताया गया है। आप सभी जानते ही हैं कि गीता महाभारत के भीष्म पर्व का ही भाग है। इसको यहाँ पर विस्तार से बताया गया है, जिससे कि पाठक गीता और महाभारत के सम्बन्ध को आसानी से समझ पाएँगे। पहले अध्याय के अंत में गीता के सभी अठारह अध्यायों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे पाठकों को गीता के विषयों को समझने में सरलता रहेगी। इसके अतिरिक्त संक्षिप्त परिचय से विषय के प्रति रुचि भी बनती है।

दूसरा अध्याय बहुत ही व्यापक और ज्ञानवर्धक हैं। इसमें गीता में वर्णित सभी मुख्य योग साधनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। जिनमें कर्मयोग भक्तियोग, ज्ञानयोग, ध्यान योग, राजयोग, मोक्ष संन्यास योग और सांख्य योग की चर्चा की गई है। इस अध्याय में ऊपर वर्णित सभी विषयों को सरलता और रोचकता के साथ बताया गया है। प्रायः इन सभी योग साधनाओं को जानने की इच्छा साधकों को होती है। लेखक द्वारा साधकों की इच्छा को तृप्त करने का प्रयास किया गया है।

तीसरा अध्याय वर्तमान समय में गीता की प्रासंगिकता को दर्शाता है। इसमें गीता की आधुनिक जीवन में क्या उपयोगिता है  ?

गीता पढ़ने से हमें क्या लाभ होने वाला है? क्या गीता हमारे सभी दुःखों को दूर कर सकती है? आदि सभी प्रश्नों के उत्तर इस अध्याय में मिलते हैं। इसमें मुख्य रूप से बताया गया है कि गीता की शिक्षाओं की हमारे व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जीवन और आध्यात्मिक जीवन में उपयोगिता है।

चौथे अध्याय में मानसिक रोगों के उपचार में गीता की भूमिका को बताया गया है। जिनमें मुख्य रूप से चिंता, तनाव, अवसाद, राग, द्वेष, लोभ, क्रोध, भय, अरुचि, अकर्मण्यता आदि मानसिक विकारों का परिचय और गीता द्वारा उनके निवारण का विस्तार से वर्णन किया गया है। ऊपर वर्णित सभी विकारों में गीता की शिक्षाएं कैसे हमारी सहायता करती हैं? इसे तथ्यों के साथ समझाने का सार्थक प्रयास किया गया है।

पुस्तक के अंत में योग के विद्यार्थियों का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए, गीता से संबंधित सात सौ (700) महत्त्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तरों का वर्णन किया गया है। लेखक ने पुस्तक में सभी वर्गों का ठीक उसी प्रकार ध्यान रखा है, जिस प्रकार सरकार बजट में सभी वर्गों का ध्यान रखती है। ईश्वर से प्रार्थना है कि लेखक के सभी सार्थक प्रयास सफल हों।

डॉ. सोमवीर आर्य

निदेशक, स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र, भारत का राजदूतावास, सूरीनाम,

दक्षिणी अमेरिका

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