अनासक्ति योग मोक्ष की पगदण्डी Anasakti Yog Moksha ki Pagdandi
₹200.00
AUTHOR: | Jagannath Pathik |
SUBJECT: | Anasakti-Yog-Moksha ki Pagdandi |
CATEGORY: | Yog Sahitya |
PUBLISHER: | Ramlal Kapoor Trust |
LANGUAGE: | Sanskrit & Hindi |
PAGES: | 304 |
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पुस्तक का नाम – अनासक्ति योग मोक्ष की पगदण्डी – Anasakti-Yog-Moksha ki Pagdandi
लेखक – ब्र. जगन्नाथ ‘पथिक’
परमवृद्ध वेद तथा वेदानुयायी समग्र ग्रन्थ–समुदाय के वचनों पर श्रद्धा रखते हुए, भारतीय विवेकीजनों ने स्वानुभूति के आधार पर भी संसार में माया सा बलवान बन्धन नहीं दिखा, और इस दुःखद बन्धन को काट फेंकने वाला सिद्ध–साधन भी परवैराग्य ही को पाया। उन्ही में से किसी एक का कथन है-
अविद्या बन्ध-हेतुः स्याद्, विद्या च मोक्षकारणम् ।
‘मम’ इति बध्यते जन्तुः न ‘मम’ इति विमुच्यते।।
संसार के सभी विज्ञजन ऊपर कथित मुट्ठी–भर एकाक्षरी ज्ञान से अवश्य सहमत होंगे और भावी में भी इससे सहमत रहेंगे कि – अज्ञान अथवा माया और बुद्धि की मलिनता अध्रुवा–स्मृति मेधा की न्यूनता से ही भोगात्मक जगत् तथा भोग-साधक तीनों शरीरों में प्यार–प्रेम, अनुराग–आसक्तिमयी प्रवृत्ति हो गई है।
सुख–बुद्धि द्वारा इन सब को मम की भावना से पकड़ना ही क्लेशों, दुःखों और ‘ताप–त्रय युक्त बन्धन’ का मूल कारण है। इस सुख–बुद्धि द्वारा उत्पन्न हुई भोग–बुद्धि को यदि यथार्थ बोध के प्रकाश में, न मम –ऐसा जानकर विचार किया जाता है तो ज्ञान होता है कि यह त्रिगुणात्मक जगत् आत्मा के लिए अनुपयोगी ही नहीं अपितु दुःखद बन्धन का कारण है, ऐसा देख जानकर जब विवेक द्वारा भोगों का त्याग कर दिया जाता है, तो मानव को क्रमशः निजज्ञानमय शुद्ध चेतन स्वरूप का, तदनन्तर शान्ति के शाश्वत अक्षय–निर्झर उस परमगुरु परमात्मा का साक्षात्कार भी हो जाता है। इस प्रकार बन्धनों से मुक्ति मिल जाती है। अभ्यास की दृढता उपासक–योगी को उस पुरूषोत्तम में ही प्रतिष्ठित कर देती है जहाँ वह आन्नद का उपभोग करता है।
शिष्टानुशासित योग- उक्त समग्र साधन माला में अभ्यास–वैराग्य ही मुख्यतम है।
बस ये ही दो सिद्ध–उपाय, मानव को दुःख–दैन्यमय बन्धन से सर्वथा मुक्त कर देते है जिसे क्रमबद्ध करके इस ग्रन्थ अनासक्तियोग मोक्ष की पगदण्डी में तर्क, युक्ति, प्रमाण, अनुभव द्वारा विस्तार से दर्शाया गया है, जिससे वह मोक्ष प्रत्येक के लिए सुप्राप्य हो जाए।
Author | |
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Language |
Ayush Singh –
मुझे इस पुस्तक से योग के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला सर्वश्रेष्ठ पुस्तक ज्ञान का भंडार