आचार्य दुर्ग की निरुक्तवृति
Acharya Durg ki Nirukttavruti

895.00

AUTHOR: Dr. Gyanprakash Shastri (डॉ ज्ञानप्रकाश शास्त्री )
SUBJECT: आचार्य दुर्ग की निरुक्तवृति | Acharya Durg ki Nirukttavruti
CATEGORY: Upanishad
PAGES: 600
EDITION: 2023
LANGUAGE: Sanskrit-Hindi
BINDING: Hardcover
WEIGHT: 1150 g.
Description

आचार्य दुर्ग ने निरुक्त के विशेष विवेचन के माध्यम से वेदों की व्याख्या की है, जो कि आचार्य यास्क की निरुक्त के सिद्धांतों पर आधारित है। उनकी वेद-व्याख्या-शैली का उद्देश्य मंत्रों के सार्थकता और उनके अर्थ को स्पष्ट करना है।

आचार्य दुर्ग का कार्य विभिन्न अध्यायों में विभाजित है, जिसमें प्रत्येक अध्याय विशेष विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है:

  1. नाम तथा आख्यात: इस अध्याय में भाव के संपूर्ण अध्ययन किया गया है।
  2. उपसर्ग-निपात प्रकरण: यहां उपसर्ग, निपात और नित्यानित्यत्व के बारे में विचार किया गया है।
  3. निर्वचन-सिद्धांत: इस अध्याय में निर्वचन के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है।
  4. नैघंटुक-प्रकरण: यहां नैघंटुक के प्रारंभिक अध्यायों के शब्दों का निर्वचन है।
  5. एकपदिक-प्रकरण: इस अध्याय में निघंटु के चतुर्थ अध्याय के नामपदों का विस्तृत अध्ययन है।
  6. दैवत-प्रकरण: यहां देवता के सैद्धांतिक तथ्यों का विवेचन किया गया है।
  7. पृथिवीस्थानी देवताप्रकरण: इस अध्याय में पृथिवीस्थानी देवतापदों का निर्वाचन और स्वरूप का प्रयास है।
  8. अन्तरिक्षस्थानी प्रकरण: इसमें अन्तरिक्षस्थानी देवतापदों का अध्ययन है।
  9. द्युस्थानी प्रकरण: इस अध्याय में द्युस्थानी देवतापदों का विवेचन है।
  10. आचार्य दुर्ग की वेद-व्याख्या-शैली: यह अध्याय मंत्रों के सार्थक और अनार्थकता के बारे में है, साथ ही उनकी व्याख्या-शैली की विशेषताओं को भी बयान किया गया है।
  11. आचार्य दुर्ग का योगदान: इसमें आचार्य दुर्ग के योगदान का सारांश प्रस्तुत किया गया है।

इन अध्यायों के माध्यम से आचार्य दुर्ग ने निरुक्त के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाया है और वेदों के गहरे रहस्यों को व्याख्यात्मक दृष्टिकोण से उनके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।

Additional information
Weight 1150 g
Dimensions 24 × 24 × 8 cm
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Acharya Durg ki Nirukttavruti”

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