आहार रोचनः
Aahar Rochan

200.00

  • By :Acharya Balkrishan
  • Subject :Aahar-Rochan, Health Tips, Yoga
  • Edition :2017
  • ISBN# :9789385721021
  • Pages :69
  • Binding :Hardcover

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Description

आरोग्य ही धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष – इस पुरुषार्थचतुष्टय का मूल हैं आरोग्यपूर्ण सुखी जीवन की प्राप्ति के लिए ऋषिकृत आयुर्वेदोपदेश का श्रद्धापूर्वक एवं धारण करना आवश्यक हैं आरोग्य के लिए ऋषियों का सारभूत उपदेश इस प्रकार है-हिताहार का उपयोग ही पुरुष के स्वास्थ्य की अभिवृद्धि करता हैं तथा अहित आहार का उपयोग रोगों का करना बनता हैं रोचक व स्वादु होना भी हिताहार का एक उत्तम गुण माना जाता हैं चरक संहिता में स्निग्धता एवं उष्णता को भोजन का गुण बताते हुए कहा गया हैं कि ऐसा भोजन स्वादु बनकर स्वास्थ्य की वृद्धि करता हैं रुचिकर आहार सुखपूर्वक पाच जाता हैं तथा सौमनस्य, बल, पुष्टि, हर्ष आदि को उत्पन्न करता हुआ आरोग्यवर्धक होता हैं जैसा कि सुश्रुत संहिता में कहा गया हैं-

स्वादु एवं रुचिकर भोजन मन में प्रसन्नता तथा शरीर में स्फूर्ति का संचार करता हैं जब कि अस्वादु एवं अरुचिकर भोजन मन में खिन्नता पैदा करता हैं बल्हानी, उत्साहहीनता, विषाद एवं दुःख का जनक होता हैं अतः हितकर एवं स्वादु भोजन ही करना चाहिए

इस प्रकार विधिपूर्वक स्वादिष्ट एवं रुचिकर भोजन अपने आप में रोगनाशक महाभैषज्य के रूप में माना जाता हैं महर्षि कश्यप इस तथ्य को प्रकट करते हुए कहते हैं –

आहार के समान अन्य कोई भैषज्य नहीं हैं औषध के बिना ही विधिवत सिद्ध किये रुचिकर एवं स्वादु पथ्याहार से ही मनुष्य को स्वस्थ्य रखा जा सकता हैं औषध सेवन करने वाला व्यक्ति भी बिना आहार के नहीं रह सकता हैं अतः वैद्यजन पथ्याहार को ही औषधरूप में देते हैं इस प्रकार उनकी दृष्टि में ही आहार ही महाभैषज्य अर्थात सबसे बड़ी औषधि हैं

हमारा जीवन, शारीरिक बल एवं मानसिक उत्साह आहार के ऊपर न्रिभर है जैसाकि कहा है-आहार शीघ्र ही तृप्तिकारक एवं बलदायक होता हैं, यह देहधारण का आधार हैं उत्साह, तेज, ओज एवं बौद्धिक क्षमता का भी मुख्य कारण आहार ही हैं

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