लेखक की कलम से
योग परंपरा भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि रही है। हमारे ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं, मनीषियों, योगियों एवं योग आचार्यों ने अपने-अपने दौर में योग के महत्व को प्रमुखता से रेखांकित किया है। प्रतिस्पर्धात्मक एवं भौतिकता के इस दौर में योग मानव के लिए संजीवनी बूटी की तरह साबित हो रहा है। इसी वजह से आज योग सामान्य व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। आधुनिक समय में योग एक व्यवसाय भी बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बाद संपूर्ण विश्व में योग की क्रांति आ गई है। आज विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में योग का पाठ्यक्रम शुरू हो चुका है।
योग का परंपरागत विशुद्ध ज्ञान विद्यार्थियों के साथ साथ आम जन तक पहुंचे, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है। पंद्रह अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक में योग से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। प्रथम अध्याय योग परिचय है, जिसमें योग का अर्थ, परिभाषा, इतिहास एवं विकास, योग का महत्व आदि पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। योग विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को ध्यान में रखते हुए तथा योग को गुरु- शिष्य परंपरा के द्वारा व्यवस्थित तरीके से हम तक पहुँचाने वाले, प्राचीन से वर्तमान समय तक के प्रसिद्ध योग गुरुओं के छायाचित्र दिए गए हैं।
दूसरे अध्याय में योग के प्रमुख प्रकार, अष्टांग योग, हठयोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग के बारे में रचनात्मक चर्चा की है। तृतीय अध्याय में महर्षि पतंजलि रचित योगसूत्र, स्वामी स्वात्माराम रचित हठप्रदीपिका, महर्षि घेरण्ड रचित घेरण्ड संहिता एवं महर्षि वेदव्यास रचित श्रीमद्भगवद्गीता का वर्णन किया गया है। चतुर्थ एवं पंचम अध्यायों में क्रमशः योग शिक्षकों एवं योगासाधकों के लिए सामान्य दिशा-निर्देश बताए गए हैं। क्योंकि योग की प्रैक्टिकल एवं थ्योरी दोनों तरह की कक्षा में गुरु एवं शिष्य दोनों को योग संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों एवं नियमों का पालन करना होता है। जिसका वर्णन इन्हीं दोनों अध्यायों में किया गया है।
छठे अध्याय में गर्दन से लेकर टखनों तक सूक्ष्म व्यायाम की अभ्यास विधि के विभिन्न चरण, लाभ आदि पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। सातवें अध्याय में सूर्यनमस्कार की अभ्यास विधि, लाभ एवं क्या नहीं करना चाहिए आदि की चर्चा की गई है। आठवें अध्याय में 40 से अधिक आसनों का अर्थ, अभ्यास विधि, लाभ एवं किसे नहीं करने चाहिए आदि पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। नौवें अध्याय में आठ प्रणायामों की अभ्यास विधि, लाभ एवं कौन न करे आदि का सचित्र वर्णन किया गया है।
दसवें एवं ग्यारहवें अध्याय में क्रमशः 18 मुद्राओं एवं 3 बंधों की विधि एवं लाभ का सचित्र वर्णन किया गया है। बाहरखें अध्याय में शोधन की हैः क्रियाओं का सचित्र वर्णन किया गया है। तेरहवें अध्याय में श्वासों पर ध्यान एवं ओम ध्यान की विधि को विस्तार से बताया गया हैं। चौदहवें अध्याय में आहार का अर्थ एवं परिभाषा, आहार की आवश्यकता एवं महत्व, यौगिक ग्रंथों में आहार, मिताहार, पथ्य-अपथ्य आहार, वर्तमान में स्वस्थ जीवन शैली हेतु आहार, आहार-तालिका एवं भोजन संबंधित नियमों की उपयोगिता को बताया गया है।
पंद्रहमें अर्थात अतिम अध्याय में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर करवाए जाने वाले योग प्रोटोकॉल के अभ्यासों का सचित्र सक्षिप्त परिचय दिया गया है। वर्तमान में विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, कॉर्पोरेट, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं खेल आदि क्षेत्रों में योग के व्यावहारिक व सैद्धांतिक पक्ष को सिखाया व पढ़ाया जा रहा है। CBSE, NCERT, NIOS, HBSE एवं अन्य राज्यों के बोर्ड, कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी के योग पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक का निर्माण किया गया है। यह पुस्तक योग में Certificate, Diploma, B.A/B.Sc, M.AM.Sc, B.Ed., YCB, SET, NET-JRF आदि विषयों की
प्रायोगिक परीक्षाओं में बहुत उपयोगी रहेगी। योग को क्रियाओं को ठीक से समझने के लिए इस पुस्तक में लगभग 150 से अधिक छायाचित्र दिए गए हैं। आसनों के अर्थ को ठीक से समझने के लिए उससे संबंधित पशु-पक्षी, वृक्ष आदि के चित्र भी दिए गए हैं। योग की अभ्यास विधियों को ठीक से समझने के लिए प्रत्येक अध्याय के साथ एक QR- Code दिया गया है, जिसको मोबाइल आदि से स्कैन करके यूट्यूब चैनल पर संबंधित वीडियो को देखकर विद्यार्थी योग की विभिन्न क्रियाओं को आसानी से समझ सकते हैं।
जीवन की सभी अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में तथा लेखन कार्य में मेरा हौंसला बढ़ाने वाले विश्व विख्यात योगगुरु डॉ. सोमवीर आर्य, डॉ. भंवर सिंह एवं संदीप जी के प्रति मैं कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। साथ ही मेरे को योग अध्ययन के लिए प्रेरित करने वाले गुरुजनों एवं माता-पिता के चरणों में इस रचना को समर्पित करता हूँ। इस कृति को साकार रूप देने के लिए योग विद्यार्थियों ने मुझे प्रेरित किया। जिसके लिए मैं उन सभी योगार्थियों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
इस अनमोल रचना को साकार रूप देने के लिए मैं रोनक पब्लिकेशन हाउस दिल्ली से प्रकाशक श्रीमती सुनीता सिंह जी एवं इनकी पूरी टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में इनके अपार सहयोग को अभिलाषा करता हूँ।
प्रस्तुत पुस्तक विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के योग-विद्यार्थियों एवं योग शिक्षकों के साथ-साथ योग जिज्ञासु पथिकों के लिए एक सरल व सुलभ मार्ग प्रशस्त करेगी। सभी आयुवर्ग के सामान्य से लेकर विशिष्ट स्तर के योग जिज्ञासुओं के लिए आधुनिक तकनीक के साथ बहुत ही साधारण शब्दों में रचित यह मार्गदर्शिका बहुत उपयोगी साबित होगी, ऐसा मेरा अटल विश्वास है।
डॉ. धर्मबीर यादव
Dr Dharambir yadav –
Superb Book for Beginners
Sudha –
बहुत ही अच्छी पुस्तक है स्कूल के विद्यार्थियों के लिए और नए योगाभ्यासी के लिए।धन्यवाद आर्ष साहित्य, धन्यवाद डॉ धरमबीर यादव जी ऐसी पुस्तक उपलब्ध करवाने के लिए।
Manoj –
Wonderful Book
Karan Singh –
“Yoga-A Way of Life” book is very useful and important for Yoga students and and curious person
Dr Bhanwar Singh kasana –
बहुत अच्छी सारगर्भित पुस्तक और मात्र 200रुपए में
जो QR Code के साथ दी हुई है। जिसमें आसन प्राणायाम मुद्रा बंध आदि की फोटो भी दी गई हैं। मैंने ये पुस्तक दीवाली पर सभी को gift 🎁🧧 की है। और आगे भी सभी प्रोग्राम में करता रहूंगा।
admin –
धन्यवाद Dr Bhanwar Singh kasana
योगिनी कृष्णा –
सरल सस्ती और सभी के लिए उपयोगी पुस्तक
आभार धरमवीर योगाचार्य जी।
संपूर्ण भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तक
Yoga A way of life
योगिनी कृष्णा –
योग की इतनी उपयोगी पुस्तक पहली बार पढ़ने को हमें मिली है।
मैं यह पुस्तक अपने सभी विद्यार्थीयों को पढ़ने के लिए अवश्य प्रेरित करूंगी।