दयानन्द सिद्धान्त भास्कर Dayanand Siddhant Bhaskar
₹130.00
AUTHOR: | Krishnachandra Virmani |
SUBJECT: | Teachings of swami dayanand | दयानन्द सिद्धान्त भास्कर | Dayanand Siddhant Bhaskar |
CATEGORY: | Swami Dayanand Granth |
LANGUAGE: | Hindi |
EDITION: | 2013 |
PAGES: | 211 |
BINDING: | Hard Cover |
WEIGHT: | 360 GRMS |
ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका Rigvedadi Bhashya Bhumika
सम्पादक का वक्तव्य
पाठक वृन्द !
पूज्यपाद श्रीयुत पं० मुक्तिरामजी उपाध्याय, गुरुकुल पोठोहर के परामर्श पर मेरे मन में दयानन्द सिद्धान्त भास्कर पुस्तक के सम्पादन करने का विचार उत्पन्न हुआ। मैंने महर्षि दयानन्द के सब ग्रन्थों और पत्रों का मन्थन करके यह साररूपी अमृत सङ्कलन किया है। मैं यह स्वीकार करता हूँ कि महर्षि के मूल ग्रन्थों के पाठ से जितना आनन्द और लाभ प्राप्त हो सकता है, उतना इस संग्रहात्मक ग्रन्थ से होना सम्भव नहीं है
परन्तु जो लोग महर्षि के मूल ग्रन्थों को किसी कारणवशात् नहीं पढ़ते, उनके लिए यह पुस्तक दयानन्द सिद्धान्त भास्कर विशेषतः अत्योपयोगी सिद्ध होगी। मैंने ऋषि वचनामृतरूपी वाटिका से सुन्दर पुष्पों का संग्रह करके और उन्हें एक सूत्र में ग्रन्थित करके एक रमणीय पुष्प-माला तैयार की है। इस माला के फूलों की एक-एक पडुड़ी में अद्भुत सौन्दर्य है, सौरभ है और माधुर्य है।
मुझे आशा है कि यह दयानन्द सिद्धान्त भास्कर संग्रहात्मक ग्रन्थ नवयुवकों, बालकों और स्त्रियों के हृदयों में विशेषतः ईश्वर-विश्वास, सत्य-निष्ठा, सदाचार, निर्भयता और समाज-सेवा आदि उत्कृष्ट गुणों के संचार करने में सहायक होगा। प्रत्येक आर्य माता-पिता से मेरी प्रार्थना है कि जहाँ स्वयं इस दयानन्द सिद्धान्त भास्कर पुस्तक का पाठ करें, वहाँ वे स्व-सन्तान को भी इसके पढ़ने के लिए ज़रूर आग्रह करें।
कोई आर्य परिवार इस पुस्तक से खाली नहीं रहना चाहिए, क्योंकि जहाँ इस पुस्तक की एक प्रति भी उपस्थित होगी। वहाँ किसी वैदिक सिद्धान्त के निर्णय करने अथवा महर्षि दयानन्द की किसी विषय विशेष पर सम्मति जानने के लिए किसी अन्य पुस्तक की ज़रूरत न रहेगी।
सारांश यह है कि महर्षि के मन्तव्यामन्तव्य सम्बन्धी सभी ज्ञातव्य विषयों पर यह पुस्तक एक प्रामाणिक विश्वकोष का काम देगी और पाठकों के हृदयों में वैदिक धर्म के प्रति प्रेम, श्रद्धा और उत्साह की स्फूर्ति भी पैदा करती रहेगी। मैं अनुभव करता हूँ कि प्रथम संस्करण में कतिपय त्रुटियाँ अवश्य होंगी परन्तु सूचना मिलने पर मैं उन्हें दूसरे संस्करण में दूर करने का हर प्रकार से प्रयत्न करूँगा। किमधिकम् ।
रावल पिण्डी,
विनीत:-
कृष्णचन्द्र विरमानी
प्राक्कथन
श्रीयुत विरमानीजी की यह पुस्तक दयानन्द सिद्धान्त भास्कर श्रीमद्दयानन्द निर्वाण अर्ध शताब्दी का सब से अच्छा तोहफा है। स्वाभाविक था कि इस अवसर पर यात्री और दर्शक ऋषि दयानन्द के वचनामृत पान करने की इच्छा करते। इसी की पूर्ति विरमानीजी ने यह पुस्तक लिखकर की है।
स्वामी दयानन्द के सभी ग्रन्थों, यहाँ तक कि उनके पत्र-व्यवहाररूपी समुद्र का मन्थन करके यह अमृत निकाला गया है। जिस किसी विषय में भी ऋषि दयानन्द की सम्मति जानना चाहो, वही प्रकरण इस पुस्तक में देख लो। उनके समस्त लेख और सम्मति इकट्ठी एक जगह मिल जायेगी।
अनेक विषयों में जो बात स्वामीजी के सभी ग्रन्थों के पढ़ने से प्राप्त होती, वह इस एक ही ग्रन्थ के पढ़ने से प्राप्त हो सकती है। यही इस पुस्तक की विशेषता है। पुस्तक के तैयार करने में जो परिश्रम विरमानीजी को करना पड़ा है उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। विश्वास है कि | इस ग्रन्थ का अधिक-से-अधिक प्रचार होगा।
बलिदान भवन, दिल्ली
१-९-१९३३
नरायण स्वामी
Weight | 360 g |
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Dimensions | 15 × 10 × 2 cm |
Author | |
Language |
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