संस्कृत व्याकरण शास्त्र का इतिहास (2 खंड)
Sanskrit Vyakaran shastra ka Itihas (2 volumes)

1,300.00

AUTHOR: Yudhishthir Mimansaka
SUBJECT: Sanskrit Vyakaran shastra ka Itihas
CATEGORY: Sanskrit Literature
LANGUAGE: Sanaskrit – Hindi
EDITION: 2020
PAGES: N/A
PACKING: Hard Cover
WEIGHT: 1932 GRMS
Description

प्राक्कथन

पं० युधिष्ठिरजी मीमांसक का यह ग्रन्थरत्न विद्वानों के सम्मुख उपस्थित है। कितने वर्ष कितने मास और कितने दिन श्री पण्डितजी को इसके लिये दत्तचित्त होकर देने पड़े, इसे मैं जानता हूं। इस काल के महान् विघ्न भी मेरी आँखों से ओझल नहीं हैं।

भारतवर्ष में अंग्रेजों ने अपने ढङ्ग के अनेक विश्वविद्यालय स्थापित किए। उनमें उन्होंने अपने ढङ्ग के अध्यापक और महोपाध्याय रक्खे। उन्हें ग्रार्थिक कठिनाइयों से मुक्त करके अंग्रेजों ने अपना मनोरथ सिद्ध किया। भारत अब स्वतन्त्र है, पर भारत के विश्वविद्यालयों के प्रभूत- वेतन भोगी महोपाध्याय scientific विद्या-सम्बन्धी और critical तर्कयुक्त लेखों के नाम पर महा अनृत और अविद्या-युक्त बातें ही लिखते और पढ़ाते जा रहे हैं ।

ऐसे काल में अनेक प्रार्थिक और दूसरी कठिनाइयों को सहन करते हुए जब एक महाज्ञानवान् ब्राह्मण सत्य की पताका को उत्तोलित करता है, और विद्या-विषयक एक वज्रग्रन्थ प्रस्तुत करके नामधारी विद्वानों के अनृतवादों का निराकरण करता है, तो हमारी आत्मा प्रसन्नता की परा- काष्ठा का अनुभव करती है । भारत शीघ्र जागेगा, और विरोधियों के कुग्रन्थों के खण्डन में प्रवृत्त होगा ।

ऐसा प्रयास मीमांसकजी का है। श्री ब्रह्मा, वायु, इन्द्र, भरद्वाज आदि महायोगियों तथा ऋषियों के शतशः आशीः उनके लिये हैं । भगवान् उन्हें बल दें कि विद्या के क्षेत्र में वे अधिकाधिक सेवा कर सकें ।

मैं इस महान तप में उन को सफल समझता हूं। इस ग्रन्थ से भारत की एक बड़ी त्रुटि दूर हुई है। जो काम राजवर्ग के बड़े-बड़े लोग नहीं कर रहे हैं, वह काम यह ग्रन्थ करेगा । इससे भारत का शिर ऊंचा होगा ।

आर्षविद्या का सेवक

भगवद्दत्त

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