संध्या से समाधि
Sandhya Se Samadhi

200.00

AUTHOR: Swami Vedanand Sarswati
SUBJECT: संध्या से समाधि | Sandhya Se Samadhi
CATEGORY: Yog Books
LANGUAGE: Hindi
EDITION: N/A
PAGES: N/A
BINDING: Hard Cover
WEIGHT: N/A

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Description

पुस्तक का नाम – सन्ध्या से समाधि

लेखक – स्वामी वेदानन्द सरस्वती

सन्ध्या ध्यान की सर्वांङ्गपूर्ण सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रक्रिया है। सन्ध्या सत्य का अनुसन्धान है। जीवन का दर्शन है। प्रेम पूर्वक की गई सन्ध्या में समय के बन्धन टूट जाते हैं। प्रभु–प्रेम समाधि के द्वार खोल देता है।

सन्ध्या में आत्मा का जागरण होता है और पाप का विमोचन होता है। सन्ध्या स्वर्ग का सोपान है। सन्ध्या में प्रियतम का मिलन होता है। सन्ध्या साधक का प्रभु के लिए नमन है।

समाधि आत्मा की मन्जिल है और सन्ध्या उसका साधन है। समाधि से सब क्लेश क्षीण हो जाते हैं। मृत्यु-पाश से छूट कर जीवात्मा शाश्वत जीवन को प्राप्त हो जाते हैं और अक्षय सुःख के सागर में उसका प्रवेश हो जाता है।

प्रस्तुत पुस्तक में सन्ध्योपासना-व्याख्या से पूर्व भूमिका के रुप में ‘प्राक्कथन’ लिखा है। इसमें उन्होने आनुषङ्गिक एवं प्रासङ्गिक विषयों पर प्रभूत प्रकाश डाला है। प्राक्कथन के विवेचनीय विषय हैं – धर्म का स्वरुप, कर्म और उसके भेद, जीवन का स्वरुप एवं उद्देश्य, जीवन पर अन्तःजागरण का प्रभाव, मानव की अशान्ति का कारण एवं निवारण, वासनाओं पर विजय, ध्यान–योग, निष्काम–कर्म, वैदिक–सन्ध्या, ध्यान के उपाय, ध्यान पर वैज्ञानिक दृष्टि, शारीरिक-मानसिक-बौद्धिक विकार और उनका समाधान, समाधि का उद्देश्य, उसके साधन और महत्त्व इत्यादि।

सन्ध्योपासना-मन्त्रों की व्याख्या में क्रम है – मन्त्रशीर्षक, मन्त्र, विनियोग, मन्त्र के शब्दों के अर्थ तथा व्याख्या। विनियोग द्वारा कर्म तथा चिन्तन की विधि प्रदर्शित की गई है। मन्त्रों की व्याख्या बहुत विस्तार से की गई है। इसमें सैकड़ों उद्धरणों द्वारा अपने कथ्य एवं निष्कर्षों की पुष्टि की गई है। अन्त में अट्ठारह भजनों और एक कविता का संग्रह लेखक की भावप्रवणता का परिचायक है।

स्वाध्यायशील साधक अवश्य ही इसका यथार्थ मूल्याङ्कन एवं रसास्वादन करेंगे

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